कांग्रेस, जो अक्सर वीर सावरकर का अपमान और तिरस्कार करती रहती है, बुधवार को उस समय पशोपेश में पड़ गई जब केरल के एर्नाकुलम में राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा के लिए लगाए गए एक बैनर पर चंद्रशेखर आज़ाद, रवींद्रनाथ टैगोर, गोविंद बल्लभ पंत, अबुल कलाम आजाद के साथ साथ वीर सावरकर की तस्वीर भी मौजूद थी। जैसे ही बैनर की तस्वीरें सोशल मीडिया पर फैलीं, कांग्रेस ने सावरकर की तस्वीर हटाकर उसके ऊपर महात्मा गांधी की तस्वीर चिपका दी और सच छिपाने की कोशिश करने लगी, लेकिन तब तक देर हो चुकी थी।

भाजपा अध्यक्ष के.सुरेंद्रन ने सावरकर की तस्वीर छिपाने पर कांग्रेस पर हमला बोलते हुए कहा कि, “कांग्रेस ने कट्टरपंथी ताकतों को खुश करने के लिए सावरकर की तस्वीर छिपाई है। कांग्रेस ने एक बार फिर साबित कर दिया है कि वह देश के खिलाफ है। राहुल गांधी की यात्रा केवल कट्टरपंथी तत्वों का दिल जीतने के लिए है। यह यात्रा राष्ट्रविरोधी तत्वों द्वारा प्रायोजित है। स्वाभिमानी कांग्रेसी नेताओं और कार्यकर्ताओं को इस पार्टी से बाहर आ जाना चाहिए।”
सावरकर को नीचा दिखाने की कांग्रेस की कोशिशें हो गईं फेल
ऐसा लगता है कि राहुल द्वारा इतिहास को उलझाने की कोशिशें सफल साबित नहीं हुईं हैं! वीर सावरकर के खिलाफ राहुल झूठ बोलते रहे हैं, पर एर्नाकुलम में उनकी भारत जोड़ो यात्रा में वीर सावरकर के पोस्टर लगने से साफ हो गया है, कि आम जनमानस ने हमेशा वीर सावरकर को स्वतंत्रता सेनानी और महापुरुष वाला सम्मान दिया है!

पूरा देश वीर सावरकर को महान स्वतंत्रता सेनानी मानता है, 1857 के कथित विद्रोह को सबसे पहले पहला स्वतंत्रता संग्राम उन्होंने ही कहा था, लेकिन कांग्रेस सावरकर को स्वतंत्रता सेनानी नहीं मानती! कांग्रेस कहती है सावरकर अंग्रेजों से लड़े ही नहीं। क्या वीर सावरकर का कालापानी की सजा भोगना, जेल में प्रताड़ना सहना, यह सब कांग्रेस को नहीं दिखता? हाल ही में कांग्रेस कर्नाटक में लगे सावरकर के पोस्टरों से भी आपत्ति हो चुकी है।
टीपू: एक ज़मानत ज़ब्त सुल्तान और सावरकर
जिन सावरकर को इंदिरा मानती थीं महान, उन्हें हटाएंगे राहुल गाँधी
राहुल गाँधी वीर सावरकर पर माफी मांगने का बेतुका आरोप लगाते रहे हैं। पर शायद उनको ये याद नहीं रहता कि उनकी दादी और पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गाँधी ने वीर सावरकर को भारत का वीर सपूत कहा था।
लेखक वैभव पुरंदर ने सावरकर पर लिखी अपनी किताब “The True Story of the Father of Hindutva” में इंदिरा गांधी के लिखे पत्र का विवरण दिया है। इंदिरा गांधी ने 1966 में सावरकर के निधन पर शोक भी जताया था और सावरकर को क्रांतिकारी बताते हुए तारीफ की थी।

20 मई 1908 को ‘स्वतंत्रवीर सावरकर राष्ट्रीय स्मारक’ के सचिव पंडित बाखले को लिखे अपने पत्र में इंदिरा गांधी ने लिखा था कि, “मुझे आपका पत्र 8 मई 1980 को मिला। वीर सावरकर का ब्रिटिश सरकार के विरुद्ध सशक्त प्रतिरोध हमारे स्वतंत्रता आंदोलन के लिए बहुत महत्त्वपूर्ण है। मैं देश के महान सपूत (Remarkable Son of India) की शताब्दी पर आपके द्वारा आयोजित किए जा रहे शताब्दी समारोह के सफलता की कामना करती हूँ।”
क्या अपनी दादी की शहादत की दुहाई देने वाले राहुल गाँधी ने अपनी दादी को भी साम्प्रदायिक घोषित कर दिया है?
नेहरु की माफी कैसे भूल जाती है कांग्रेस ?
सावरकर का चित्र छिपाने की हरकत पर भाजपा के अमित मालवीय ने ट्विटर पर राहुल गाँधी पर हमला किया, मालवीय ने कहा, राहुल गाँधी के परनाना नेहरू ने केवल 2 सप्ताह पंजाब की नाभा जेल में गुजारने के बाद ही अंग्रेजों से उन्हें छोड़ने की याचना करते हुए दया याचिका पर दस्तखत कर दिए थे।
Veer Savarkar’s pictures adorn Congress’s Bharat Jodo Yatra in Ernakulum (near airport). Although belated, good realisation for Rahul Gandhi, whose great grandfather Nehru, signed a mercy petition, pleaded the British to allow him to flee from Punjab’s Nabha jail in just 2 weeks. pic.twitter.com/i8KxicPl1y
— Amit Malviya (@amitmalviya) September 21, 2022
इस पर कांग्रेस के पवन खेड़ा बोले, “नेहरू ने लगभग दस साल जेल में बिताए थे, और सावरकर और वाजपेयी की तरह कभी दया याचिका दायर नहीं की थी।”
Typical Malaviya BS that is peddled as history. Nehru spent a total of almost ten years in jail and never ever submitted a mercy petition like Savarkar first and later Vajpayee and others. Let’s talk about the Bateshwar back stabbing…. https://t.co/2Kym4Znrwb
— Pawan Khera 🇮🇳 (@Pawankhera) September 21, 2022
इसपर अब चारों तरफ चर्चा चालू हो गई है। अमिट मालवीय यहीं नहीं रुके और कांग्रेस को चुनौती दे डाली, दरअसल जवाहरलाल नेहरु ने अंग्रेजों के सामने आत्मसमर्पण कर दया याचिका पर हस्ताक्षर किए थे और पंजाब की नाभा जेल (सितंबर 1923 में) से रिहा होने की गुहार लगाई थी। इसमें उनके प्रभावशाली वकील पिता मोतीलाल नेहरू को भी हस्तक्षेप करना पड़ा था।
आज कांग्रेस के नेहरू के 10 साल जेल में रहने की बात बता रहे हैं। लेकिन कोई भी उसकी अवधि, कारावास की प्रकृति और स्थान के बारे में नहीं बता रहा है। या तो शायद वे जानते नहीं हैं या जिन्हें कांग्रेसी जेल समझ रहे हैं वह स्थान वास्तव में जेल नहीं थे क्योंकि वह इतनी विलासितापूर्ण जगहों पर रहते थे कि उन्हें जेल कहने में शर्मिंदगी हो जाती है।
उदाहरण के लिए, वीर सावरकर ने 1910-1921 का समय अंडमान जेल के एकांत कारावास में बिताया, जिसे काला पानी भी कहा जाता है, और इसके सभी दस्तावेज पब्लिक फोरम में मौजूद हैं। इसके बाद 1921-1924 के दौरान वो विभिन्न भारतीय जेलों में कठोर यातनापूर्ण परिस्थितियों में रहे। इसके बाद 1924-1937 के बीच उन्हें उनके गृह जिले रत्नागिरी में नजरबंद कर दिया गया। इस तरह सावरकर की प्रतिबंधित स्वतंत्रता की पूर्ण अवधि 14+13=27 साल की होती है। इसके सभी दस्तावेज मौजूद हैं और इससे पता चलता है कि वीर सावरकर के क्रांतिकारी कार्यों से अंग्रेज कितने डरे हुए थे।
पर इसके उलट, कांग्रेस नेहरू के 10 वर्षों की कठोर कारावास द्वारा भारत के स्वतंत्रता संग्राम में उनके योगदान को क्यों नहीं सिद्ध कर रही है। कांग्रेस चाहती है कि सब लोग बिना प्रमाण के ही विश्वास कर लें कि नेहरू ने 10 साल जेल में बिताए और वह बहुत बड़े क्रांतिकारी थे। कांग्रेस को खुली चुनौती है कि वह नेहरू की कुल 10 साल की जेल की सजा और कारावास की प्रकृति का सूचीबद्ध प्रमाण प्रस्तुत करे।
The Congress would want us to believe that Nehru spend 10years in jail and was quite a revolutionary. Here is an open challenge to anyone in the Congress to list out the jail terms Nehru underwent (totalling to 10 years) and nature of the confinements. Just shut up, if you can’t. pic.twitter.com/74hCGgQ7FL
— Amit Malviya (@amitmalviya) September 22, 2022
बैनर लगाने वाले कार्यकर्ता को सजा दे रही कांग्रेस
राहुल गाँधी की भारत जोड़ो यात्रा में सावरकर का बैनर लगाने वाले कार्यकर्ता को कांग्रेस प्रताड़ित करने रही है। अलुवा चुनावक्षेत्र के कांग्रेस विधायक अनवर सादात ने कहा, “पार्टी के एक कार्यकर्ता ने यह बैनर लगाने की गलती की और यह बैनर कांग्रेस द्वारा आधिकारिक तौर पर नहीं लगाया गया था। पार्टी के बहुत से कार्यकर्ता राहुल गाँधी के स्वागत के लिए स्वेच्छा से ऐसे बैनर लगाते हैं। बैनर प्रिंटिंग के लिए इंटरनेट से तस्वीरें चुनते समय कार्यकर्ता ने राजनीति के बारे में नहीं सोचा इसलिए जिला नेतृत्व कार्यकर्ता के खिलाफ कार्रवाई करेगा।”
Kerala | I think the man who printed the banner may be BJP-RSS person&did it deliberately. Congress workers will never ask for Savarkar's photo on banner.We'll inquire.Our leadership took action&immediately suspended the local leader: K Suresh, Bharat Jodo Yatra state coordinator https://t.co/LtadF9jhPh pic.twitter.com/ipcGYVxWKr
— ANI (@ANI) September 21, 2022
कांग्रेस सांसद के सुरेश ने बताया कि बैनर लगाने वाले स्थानीय नेता को तुरंत सस्पेंड कर दिया गया है। क्या कांग्रेस पार्टी की बनावटी राजनीति जिसमें स्वतन्त्रता सेनानियों को ही नकार दिया जाए उसकी सजा एक मामूली कार्यकर्ता को दी जाएगी? आखिर एक छोटे कार्यकर्ता को क्या पता कि ऊंचे स्तर पर उसकी पार्टी कैसे जहरीले और देश तोड़ने वाले काम कर रही है, उसको क्या पता कि उसका शीर्ष नेतृत्व जब मन चाहे किसी भी स्वतंत्रता सेनानी को नकार देता है। वह सामान्य कार्यकर्ता तो “देश जोड़ने वाली यात्रा” समझकर सब महापुरुषों के बैनर लगा रहा था।
जो पार्टी टीपू सुल्तान जैसे आतंकवादी को जोड़के रखती है, खतरनाक अर्बन नक्सल विचारकों, टुकड़े टुकड़े गैंग को जोड़कर रखती है, रोहिंग्या घुसपैठियों को जोड़ने की बात करती है, वह एक देशभक्त सावरकर को नहीं जोड़कर रखेगी इसका एक सामान्य कार्यकर्ता को क्या पता ?
निलम्बित हुए कांग्रेस कार्यकर्ता सुरेश ने कहा कि मैं दो हफ्तों से भारत जोड़ो यात्रा के लिए मेहनत कर रहा था। मैं बैनर को चैक नहीं कर पाया। मामला सामने आने के बाद पहले तो सावरकर के ऊपर गांधीजी की फोटो चिपका दी गई पर बाद में पूरा बैनर ही हटवा दिया, वह बैनर 9000 का पड़ा था।
क्या अब उस कार्यकर्ता की कांग्रेस एजेंटों द्वारा पब्लिक शेमिंग की जाएगी? क्या उस सामान्य कार्यकर्त्ता को कांग्रेस की जहरीली सोच पर अनजाने में अटैक करने की बड़ी सजा भुगतनी पड़ेगी ? कार्यकर्ता की दिल से की गई मेहनत की कोई कीमत नहीं है जिसने 9000 खर्च करके स्वतंत्रता सेनानियों का बैनर छपवाया? क्या सजा देने से राहुल गाँधी का भारत जुड़ेगा ?