पाकिस्तान में आई भीषण बाढ़ ने देश को बड़े स्तर पर नुकसान पहुँचाया है। इसी बीच, बच्चों के अधिकारों के लिए काम करने वाली मलाला युसुफजई भी बाढ़ग्रस्त क्षेत्रों का जायजा लेने के लिए पाकिस्तान पहुँची हैं। 10 वर्ष पहले अपने ऊपर हुए हमले के बाद यह पहली बार है जब वो पाकिस्तान लौटी हैं।
पाकिस्तान में मई-जून 2022 के दौरान भीषण बाढ़ आई थी, जिसके बाद से ही देश आर्थिक और स्वास्थ्य क्षेत्र के मोर्चे पर संघर्ष कर रहा है। आपदा की चपेट में अब तक 33 लाख लोग आ चुके हैं तो 1700 लोगों की मौत हुई है। पाकिस्तान सरकार के अनुसार, बाढ़ के कारण देश की अर्थव्यवस्था को करीब 30 बिलियन डॉलर का नुकसान उठाना पड़ा है।
मलाला युसुफजई अपने पिता के साथ 11 अक्टूबर, 2022 को जिन्ना अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट से कराची पहुँची थी और इसके अगले दिन यानी 12 अक्टूबर, 2022 को बाढ़ग्रस्त क्षेत्रों का जायजा भी लिया था। पाकिस्तान के मुख्य अखबार डॉन ने मलाला की यात्रा पर कहा, इस यात्रा से अंतरराष्ट्रीय वर्ग का ध्यान आपदाग्रस्त लोगों की ओर जाएगा और मानवीय सहायता मिलने की संभावनाएं बढ़ेंगी।
कौन है मलाला युसुफजई
पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा क्षेत्र में जन्म लेने वाली मलाला युसुफजई महिला शिक्षा कार्यकर्ता है। खैबर पख्तूनख्वा के स्वात क्षेत्र में 10 वर्ष पहले 2011 में 15 वर्षीय मलाला को पाकिस्तानी तालिबान ने सिर पर गोली मार दी थी। मलाला की गलती यह थी कि वो उस समय लड़कियों के शिक्षा अधिकारों के लिए अभियान चला रही थीं।
इस हमले के बाद मलाला को इलाज के लिए ब्रिटेन ले जाया गया था, जिसके बाद वो पाकिस्तान नहीं लौटी। बाद में, महिला शिक्षा अधिकारों की रक्षा के लिए वो दुनिया की सबसे युवा नोबल पुरस्कार विजेता भी बनीं।
साथ ही, 2013 में मलाला को टाइम मैगजीन द्वारा दुनिया के 100 सबसे प्रभावशाली लोग की सूची में शामिल किया गया था। मलाला ने संयुक्त राष्ट्र में भी महिला अधिकारों को लेकर अपना पक्ष रखा था।
अपने ऊपर हुए हमले की 10वीं सालगिरह के दो दिन बाद ही मलाला ने पाकिस्तान की धरती पर कदम रखा। उनके कार्यक्रम के अनुसार वो बाढ़ग्रस्त क्षेत्र का दौरा करने के बाद अपने मूल निवास खैबर पख्तूनख्वा भी जाएंगी जो कि हाल ही में फिर से टीटीपी द्वारा किए जा रहे अत्याचारों को लेकर चर्चा में था।
वहीं, मलाला फंड संगठन के अनुसार, उनकी पाकिस्तान यात्रा का मकसद अंतरराष्ट्रीय वर्ग का ध्यान देश की बाढ़ की समस्या की ओर खींचना है ताकि आपदाग्रस्त लोगों को सहायता मिल सके।