असम के काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान के पास स्थित गाँव के निवासियों ने ईमानदारी की मिसाल पेश की है। बोगा पात्रो और बिलब पात्रो नामक दो ग्रामीणों को जंगल में गैंडे का सींग मिला था। इसे दोनों ने वन विभाग के हवाले कर दिया है।
दरअसल, 29 सितंबर को काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान के कहोरा वन क्षेत्र के पास स्थित मोहपारा गाँव के दो किसानों ने काली दाल की खेती के लिए उद्यान के पास जाते समय गैंडे का सींग बरामद किया था।
दोनों को सींग मिलने के तुरंत बाद ही वो वन विभाग पहुँचे और सींग को विभाग के हवाले कर दिया। वन विभाग ने दोनों को गमोसा (असम का विशेष गमछा) देकर सम्मानित किया है। साथ ही, विभाग की ओर से इनको इनामी राशि और प्रशंसा पत्र भी दिया जाएगा।
असम के मुख्यमंत्री हिमांता बिस्वा सरमा ने भी ट्वीट कर के दोनों किसानों की तारीफ की है। उन्होंने कहा, “बोगा पात्रो और बिलब पात्रो द्वारा किया गया कार्य सराहनीय है”।
Appreciate the inspiring act of honesty displayed by Shri Boga Patro & Shri Bilab Patro.
— Himanta Biswa Sarma (@himantabiswa) September 29, 2022
After having found a broken piece of rhino horn at Tetelidanga Gaon near Mohpara under Kaziranga range, the duo immediately contacted forest authorities and handed it over to them. pic.twitter.com/J2zvJmm19s
जहाँ दोनों किसानों ने कीमती सींग को लौटा कर उदाहरण पेश किया है। वहीं दूसरी ओर, देश में अक्सर गैंडों की तस्करी के मामले सामने आते हैं। गैंडों के सींग में केरोटिन पाया जाता है जो कि बाजार में सोने से ज्यादा कीमत पर बिकता है। इस केरोटिन को पाने के लिए ही तस्कर इनका शिकार करते हैं।
अंतरराष्ट्रीय बाजार में इसकी कीमत करीब 1 लाख डॉलर प्रति ग्राम होती है यानी कि भारतीय रुपए में इसकी कीमत लाखों में पहुँच जाती है।
काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान में दुनिया के कुल 4,014 एक सींग वाले गैंडो में से 2,613 गैंडे रहते हैं। इस राष्ट्रीय उद्यान को यूनेस्को द्वारा विश्व धरोहर स्थल घोषित किया हुआ है। यह भारत के टाइगर रिजर्व के तौर पर भी घोषित किया हुआ है। एक सींग वाले गैंडे अति संवेदनशील की श्रेणी में आते हैं।
2021 में ही असम सरकार ने विशेष समारोह में गैंडों के करीब 2500 सींगों को जलाया था। प्रदेश सरकार द्वारा यह कदम शिकारियों को कड़ा संदेश देने के लिए उठाया गया था।
हाल ही में असम सरकार ने इन्हीं सींगों को जलाने से मिली राख से बनी तीन गैंडों की मूर्तियों का अनावरण किया था। इसका नाम सरकार ने ‘एबॉड ऑफ द यूनिकॉर्न’ (यूनिकॉर्न का निवास) रखा है।

तीन गैंडों की मूर्तियों में एक वयस्क नर और मादा और एक बच्चा गैंडा शामिल हैं। इनके साथ विभिन्न सामग्रियों द्वारा बने वन रक्षकों की मूर्तियां भी बनाई गई हैं। नर गैंडा 10.5 फीट लंबा और 6 फीट ऊंचा है, मादा 11 फीट लंबी और 5.6 फीट ऊंची है, बच्चा गैंडा 3.5 फीट लंबा और 1.5 फीट ऊंचा है।
मूर्ति का अनावरण प्रदेश के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने योग गुरु जग्गी वासुदेव के साथ किया था, जिन्हें सद्गुरु नाम से भी जाना जाता है। इस स्मारक को बनाने में 6 महीने का समय लगा है। अब राष्ट्रीय उद्यान में आने वाले पर्यटक इस ऐतिहासिक कदम का अनुभव कर सकेंगे।