श्रीलंका की बुरी आर्थिक हालत किसी से छुपी नहीं हैं, ऐसे संकट के समय में जब सभी देशों ने श्रीलंका की मदद को हाथ खड़े कर दिए थे, तब भारत ने श्रीलंका को बड़े कर्ज देकर देश को स्थिर रखने में सहायता की है। संकट के समय में भारत, चीन को पछाड़ कर श्रीलंका का सबसे बड़ा कर्जदाता बनकर उभरा है।

श्रीलंका में आर्थिक खबरें बताने वाली एक वेबसाइट DailyFT ने यह जानकारी 17 सितम्बर को छपी एक खबर में दी है। खबर के अनुसार आर्थिक रूप से संकटग्रस्त श्रीलंका को भारत ने इस साल के शुरूआती महीनों में बड़ी धनराशि देकर उसे आर्थिक रूप से स्थिर रखने में काफी मदद की है।
क्या कहते हैं आँकड़ेे?
रिपोर्ट में बताए गए आँकड़े के अनुसार, भारत ने इस साल के शुरुआती चार महीनों में भारत ने 377 मिलियन डॉलर श्रीलंका को कर्ज के रूप में दिए हैं। श्रीलंका को इस साल के शुरुआती चार महीनों में कुल 968 मिलियन डॉलर कर्ज के रूप में मिले हैं। यह श्रीलंका को मिले कुल कर्जों का करीब 40% है।
भारत के बाद एशियन डेवलपमेंट बैंक श्रीलंका का तारणहार बना है जिसने श्रीलंका को 360 मिलियन डॉलर की रकम मुहैया कराई है। भारत और एशियन डेवलपमेंट बैंक के द्वारा दिए गए कर्ज, श्रीलंका को मिले कुल कर्जों का 76% हैं।
वहीं चीन पिछले पांच साल से श्रीलंका का सबसे बड़ा कर्जदाता बना हुआ था, चीन ने पिछले पांच वर्षों में 947 मिलियन डॉलर श्रीलंका को कर्जों के रूप में दिए हैं। वह बात अलग है कि चीन द्वारा दिए गए कर्जों के जाल का आज के श्रीलंकाई आर्थिक संकट में बड़ा हाथ है।
संकट के समय भारत ने ही बढ़ाया मदद का हाथ
आर्थिक रूप से संकटग्रस्त श्रीलंका की मदद के लिए भारत ने ही हाथ आगे बढ़ाया है, भारत ने श्रीलंका को कर्जे देने के साथ ही बड़ी मात्रा में खाद, दवाएं, मेडिकल उपकरण और खाद्य सामग्री उपलब्ध कराई है। भारत ने श्रीलंका को बड़ी मात्रा में पेट्रोलियम भी उपलब्ध कराया है।
CNBC TV18 में छपी एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत इस साल जनवरी के बाद से लाइन ऑफ क्रेडिट के रूप में अलग-अलग मिलाकर 3 बिलियन डॉलर से ज्यादा की मदद श्रीलंका की कर चुका है।
लाइन ऑफ क्रेडिट आम भाषा में हमारे तरह उपयोग किए जाने वाले क्रेडिट कार्ड की ही तरह होती है जिसे एक देश दूसरे देश को देता है। लाइन ऑफ क्रेडिट के अंतर्गत अनुमन्य राशि को किसी भी समय वह राष्ट्र उपभोग कर सकता है।
भारत ने ऐसी ही कई लाइन ऑफ क्रेडिट श्रीलंका को पेट्रोलियम पदार्थ, खाद्य सामग्री आदि खरीदने के लिए दे रखी हैं। इस साल की शुरुआत में भारत ने श्रीलंका की मदद करने के लिए ऐसे कर्जों की भुगतान की अवधि आगे कर दिया था जिनका भुगतान का समय नजदीक आ गया था।
जहाँ एक ओर विश्व के बड़े कर्जदाताओं जैसे IMF ने काफी मोलभाव के बाद श्रीलंका को कर्जे देना अब स्वीकार किया है, वहीं भारत ने अपना बड़े भाई होने का फर्ज निभाते हुए श्रीलंका की मदद बिना किन्हीं शर्तों के की है।
भारत ने किया अपना काम, अब IMF की बारी
सितम्बर महीने में ही 15 तारीख को आई एक खबर के अनुसार भारत अब कोई नए कर्ज श्रीलंका को देने का विचार नहीं कर रहा क्योंकि वह काफी मदद पहले ही कर चुका है। साथ ही श्रीलंका को IMF से भी समझौते के बाद बेलआउट पैकेज जल्द मिलने की उम्मीद है।

संवाददाता एजेंसी रायटर्स से बात करते हुए एक भारतीय और श्रीलंकाई आर्थिक संबंधों की जानकारी रखने वाले आधिकारिक सूत्र ने बताया, “हम पहले ही 3.8 बिलियन डॉलर का लोन श्रीलंका को दे चुके हैं, कोई भी देश लगातार राहत नहीं दे सकता।”
वहीं रायटर्स से बात करते हुए एक श्रीलंकाई सूत्र ने कहा, “हमारा मुख्य ध्यान IMF कार्यक्रम को आगे ले जाने का है, हम खुद इस संकट से जल्द से जल्द निकलना चाहते हैं।” श्रीलंका में कुछ महीनों पहले की राजनीतिक अस्थिरता में काफी सुधार आया है तथा धीरे-धीरे श्रीलंकाई सरकार चीजों को सँभालने का प्रयास कर रही है।