अमेरिका स्थित फ्रीडम हाउस संस्था ने एक रिपोर्ट जारी की है। इस संस्था के सर्वे में बताया गया है कि चीन ने अन्य देशों की मीडिया और सूचना प्लेटफॉर्म को अपने हित साधने के लिए किस कदर प्रयोग किया है।
इसके लिए चीन उन मीडिया घरानों को चुनता है, जिनका प्रभाव उस देश की जनता पर अधिक हो। उस देश के युवाओं को जो अखबार, मैगजीन, टेलीविजन न्यूज चैनल सबसे अधिक प्रभावित करते हों, उनका उपयोग चीन अपने हित के लिए करता रहता है।
भारत के सम्बन्ध में यह रिपोर्ट कहती है कि गलवान संघर्ष और कोविड-19 वैश्विक महामारी से पहले, चीन सरकार सक्रिय रूप से भारतीय पत्रकारों के साथ अच्छे सम्बन्ध बनाने के लिए चीन की सब्सिडी वाली यात्राओं की पेशकश करती थी।
इस रिपोर्ट में बताया गया है कि भारत में चीनी राजदूत ने एक अवधि के दौरान द हिन्दू, टाइम्स ऑफ इण्डिया, फ्री प्रेस जर्नल और इकोनॉमिक टाइम्स सहित कई आउटलेट्स में तकरीबन 13 ऑप-एड प्रकाशित करवाए हैं। साथ ही, भारतीय मीडिया ने चीनी राजदूत का साक्षात्कार भी लिया है।
फ्रीडम हाउस की रिपोर्ट को चरितार्थ करता भारतीय मीडिया
11 अगस्त, 2020 को टाइम्स समूह के अखबार इकोनॉमिक्स टाइम्स ने एक फेक खबर प्रकाशित की। इसका शीर्षक था, ‘भारतीय सेना ने गलवान घाटी संघर्ष की जांच की’। इस खबर को भारतीय सेना ने खारिज कर फेक न्यूज करार दिया था।
Claim: Economic Times says the #Army has conducted a formal inquiry into the Galwan valley clash on June 15 and a report has been submitted#PIBFactCheck: no such inquiry has been conducted or ordered by #IndianArmy@adgpi pic.twitter.com/9cpUGVNOZ8
— PIB Fact Check (@PIBFactCheck) August 11, 2020
23 मई, 2021 को ‘द हिन्दू’ ने एक लेख प्रकाशित किया। इसमें वरिष्ठ सरकारी अधिकारी के हवाले से गलवान वैली में भारत-चीन सेना के बीच एक छोटी झड़प का जिक्र किया गया था।
इसे खारिज करते हुए भारतीय सेना ने नसीहत देते हुए कहा, “मीडिया पेशेवरों को भारतीय सेना के आधिकारिक स्रोतों से भारतीय सेना से जुड़ी घटनाओं पर वास्तविक लेखन और स्थिति स्पष्ट करनी चाहिए। तीसरे पक्ष के इनपुट के आधार पर रिपोर्ट नहीं बनानी चाहिए।”
#Rebuttal
— ADG PI – INDIAN ARMY (@adgpi) May 23, 2021
An article titled "Minor face-off with Chinese troops in Galwan Valley" published in The Hindu on 23 May 2021 has been taken note of. (1/4) pic.twitter.com/kBP5K3fvJW
साल 2018, 2020 और 2021 में चीन के स्थापना दिवस यानी 1 अक्टूबर को ‘द हिन्दू’ में पूरे पेज का विज्ञापन और एडवर्टोरियल प्रकाशित होता है। इस दिन बाकायदा चीन के विकास से जुड़े लेख भी ‘द हिन्दू’ में साफतौर पर देखे जा सकते हैं।
It's good that The Hindu marked this PRC page as "Advertisement." It's a significant improvement over its October 1, 2020 PRC page, which wasn't clearly marked as an ad, allowing the Chinese Embassy to claim it was "Indian media’s special page" on China. https://t.co/fHjMIOL72s pic.twitter.com/yfUmZt2XOa
— Brahma Chellaney (@Chellaney) October 1, 2021
हालाँकि, इस साल 1 अक्टूबर को चीन ने ‘द हिन्दू’ को विज्ञापन नहीं दिया। इसके पीछे का एक बड़ा कारण यह है कि चीन प्रशस्त भारतीय मीडिया को चीन के हित साधने पर लगातार आलोचना का सामना करना पड़ा है।
हाल ही में 14 सितम्बर, 2022 को ‘द हिन्दू’ ने जम्मू-कश्मीर की मानसबल झील को ‘भारतीय नियंत्रित कश्मीर’ का हिस्सा बताया था। इस शातिराना कृत्य पर खूब आलोचना हुई तो द हिन्दू ने अपने डिजिटल संस्करण से इसको सही कर दिया।

हाइब्रिड वारफेयर के दौर में भारतीय मीडिया के इस तरह के हथकंडे अपने देश को कमजोर करने, देश की जनता को सरकार के प्रति भड़काने, देश की एकता, अखण्डता एवं संप्रभुता को खण्डित करने और शत्रुओं के हितों को पूरा करने का सबसे महीन और असरदार तरीका है।