गत 5 अक्टूबर को WHO द्वारा जारी चेतावनी में भारत में बनी चार कफ सिरप को दूषित बताया गया। इन दवाओं को अफ़्रीकी देश गाम्बिया में जब्त किया गया था। डब्ल्यूएचओ प्रमुख टेड्रोस गेब्रियेसस ने इन सिरप पर गाम्बिया में पिछले 3-4 महीनों से जारी छोटे बच्चों की मौतों के कारण होने का भी शक जताया।
"The four medicines are cough and cold syrups produced by Maiden Pharmaceuticals Limited, in India. WHO is conducting further investigation with the company and regulatory authorities in India"-@DrTedros https://t.co/PceTWc836t
— World Health Organization (WHO) (@WHO) October 5, 2022
गाम्बिया में पिछले कुछ महीनों से लगातार छोटे बच्चों की मौतें एक बिमारी ‘एक्यूट किडनी इंजरी’ के कारण जारी हैं। गाम्बिया में इसी के चलते 69 बच्चों की मौत हो चुकी है। गाम्बिया सरकार सहित WHO तथा अन्य जाँच संस्थाएँ अभी तक इस निष्कर्ष पर नहीं पहुँच नहीं पाई हैं कि मौत के पीछे असल वजह यह सिरप ही थीं।
क्या हुआ अब तक?
गाम्बिया में इस वर्ष के जुलाई माह में पिछले 50 साल में सबसे भयंकर बाढ़ आई थी, इस बाढ़ के कारण हजारों लोगों को विस्थापित होना पड़ा और इससे जान-माल की काफी क्षति हुई।

जैसा कि अमूमन अधिकतर मामलों में बाढ़ के बाद होता है, कुछ वैसे ही गाम्बिया में कोई महामारी नियन्त्रण ना होने के कारण महामारी फैली और बच्चों की मौत होने लगी।

यह मौतें जुलाई के माह से चालू हुईं और सितम्बर माह आते-आते इनका आँकड़ा 30 के करीब पहुँच गया। इन सभी बच्चों की मौत में एक ही तरह का पैटर्न देखा गया, इस के चलते देश की स्वास्थ्य नियामक संस्था ‘मेडिकल कंट्रोल अथॉरिटी’ (MCA) ने इस पर ध्यान देना चालू किया।
शुरुआती जाँच में एक बैक्टीरिया ई-कोलाई को इसका कारण माना गया और साथ ही पैरासिटामोल सिरप को भी संदेह की दृष्टि में रखा गया। 9 सितम्बर को इसी संस्था ने गाम्बिया के अंदर पैरासिटामोल सिरप की बिक्री पर रोक लगा दी और लोगों को बुखार की स्थिति में सिरप के बदले टैबलेट लेने की सलाह दी। साथ ही पूरे देश में इन सिरप को एकत्र करने के लिए एक अभियान शुरू किया।
Products collected by one of the groups at the end of day one of the house to house #contaminated medicines #recall exercise. #GlobalAlert pic.twitter.com/gYqH0WA5Aw
— WHO Gambia (@WHOGAMBIA) October 5, 2022
स्थिति के हाथ से बाहर होते देख इसके 4 दिन बाद ही MCA ने पूरे देश के अंदर पैरासिटामोल सिरप को अलग करने के आदेश जारी कर दिए। साथ ही, साथ इसी दौरान देश में बिक रही कई पैरासिटामोल सिरप के नमूनों को जाँच के लिया भेजा गया।

गाम्बिया के पास अपनी कोई जाँच प्रयोगशाला ना होने के कारण इन सभी नमूनों को WHO की मदद से चार अलग-अलग देशों में जाँच के लिए भेजा गया। कुल 23 एकत्रित नमूनों को जाँच के लिए यूरोपीय देशों, स्विट्जरलैंड और फ्रांस के साथ-साथ अफ्रीकी देशों सेनेगल तथा घाना में भेजा गया।
इन जाँच के नतीजों से पता लगा कि इन 23 नमूनों में से 4 सिरप, जिनका उपयोग बच्चों के खांसी-बुखार में किया जाता है, में एक रसायन की मात्रा काफी अधिक है जिससे यह सिरप दूषित हैं एवं सेवन करने पर हानिकारक सिद्ध हो सकती हैं।
यह चार सिरप दिल्ली की कम्पनी मेडन फार्मास्युटिकल्स लिमिटेड की हरियाणा के सोनीपत में कुंडली औद्योगिक क्षेत्र में लगी फैक्ट्री में बनी थी। इस पूरी जानकारी को भारत की दवा नियामक एजेंसियों को WHO ने 29 सितम्बर को बताया, जिस पर 1 अक्टूबर, 5 अक्टूबर, 7 अक्टूबर को कम्पनी में नमूने इकट्ठे किए गए।

5 अक्टूबर को WHO के मुखिया ने एक प्रेस वार्ता करके मीडिया को बताया कि यह चार सिरप दूषित हैं और गाम्बिया में बच्चों की मौत से सम्बंधित हो सकती हैं, उन्होंने बच्चों की मौत पर भी दुःख प्रकट किया।
A nationwide exercise is underway to recall the contaminated products. #Recall #Alert Medical Product Alert N°6/2022: Substandard (contaminated) paediatric medicines https://t.co/gRaZyc0UGS
— WHO Gambia (@WHOGAMBIA) October 5, 2022
इसके बाद से पूरे विश्व और भारतीय मीडिया का ध्यान इस मुद्दे पर गया और भारत के पूरे फार्मा उद्योग के खिलाफ खबरें चलना चालू हो गईं, बिना किसी आधिकारिक पुष्टि के इन सिरप को बच्चों की मौत का दोषी बताया जाने लगा।
अभी आधिकारिक पुष्टि नहीं
WHO द्वारा चेतावनी जारी करने के बाद भारत में भी इन दवाइयों पर बहस चालू हो गई, जिस पर भारत की दवा नियंत्रक एजेंसियों ने बताया की उक्त दवाएं भारत में नहीं उपलब्ध हैं एवं केवल गाम्बिया में निर्यात के लिए कम्पनी इनका निर्माण करती थी।
➡️Press Note on @WHO Medical Product Alert regarding Maiden Pharmaceuticals Ltd.
— Ministry of Health (@MoHFW_INDIA) October 6, 2022
https://t.co/VaqtPdV5sT pic.twitter.com/FWMInIneQF
चूंकि मुद्दा बच्चों की मौत से जुड़ा था इसलिए गाम्बिया के राष्ट्रपति एडामा बैरो ने 8 अक्टूबर को सामने आकर देश को संबोधित किया। अपने संबोधन में उन्होंने बच्चों कि मौत को दुखद बताए हुए कहा कि एक्यूट किडनी इंजरी रोग के कारण काल के गाल में समाए इन बच्चों की मौत के पीछे ई-कोलाई नाम का बैक्टीरिया था।
“I must state that the child mortality figure of sixty-six (66) is not at much variance with the recorded data for similar periods in the past. This notwithstanding, my govt remains deeply concerned about every death in the country, as well as all causes of premature deaths.” pic.twitter.com/bvmDsYKvA9
— Kerr Fatou (@Kerrfatou) October 7, 2022
राष्ट्रपति ने आगे कहा कि डॉक्टरों ने इन मौतों में एक समान पैटर्न देखा और उनका अनुमान है कि यह एक दवा लेने के कारण हुआ है अतः हमारे प्रशासन ने इन दवाओं के उपयोग पर प्रतिबंध लगा दिया है। हम WHO और अमेरिका की दवा जांच एजेंसी CDC के सम्पर्क में हैं। अभी जांच अपने अंतिम नतीजे पर नहीं पहुँच सकी है और हमारी आशा है कि जल्द ही हम इस महामारी के मूल कारण तक पहुँच सकेंगें।
इसके अतिरिक्त अभी WHO ने भी आधिकारिक तौर से इन सिरप को मौतों से सीधा जुड़ा होना नहीं बताया है, जांच अभी जारी है इसलिए इस महीने के अंत तक इस मामले के मूल कारणों पर से धुंध छंटने की आशा है।
वहीं कम्पनी के डायरेक्टर नरेश गोयल ने दैनिक अखबार द ट्रिब्यून से बात करते हुए कहा कि इन मौतों से हामरी दवा का कोई सम्बन्ध नहीं है, किसी भी आधिकारिक पुष्टि में अभी हमारी दवाओं को मौतों का जिम्मेदार नहीं बताया गया है। उन्होंने इन मौतों का जिम्मेदार बैक्टीरिया ई-कोलाई और फ़्रांस की एक कम्पनी के द्वारा बेचीं गई दवा को बताया।

मीडिया ट्रायल प्रारम्भ, भारत की छवि धूमिल करने का प्रयास जारी
WHO के चेतावनी जारी करने के साथ ही देश-विदेश की मीडिया के द्वारा भारत के फार्मा उद्योग का चरित्र हनन और मीडिया ट्रायल चालू कर दिया गया। लगातार झूठा प्रोपगेंडा फैलाने वाले पोर्टल द वायर ने पूरे तौर से इन सिरप को ही बच्चों की मौत का जिम्मेदार बता दिया और भारत की स्वास्थ्य नियंत्रक एजेंसियों की विफलता का शोर मचाया।
This was not the first instance of children dying due to contaminated cough syrup made by an Indian company. Earlier this year, 14 children died in Himachal Pradesh due to the same contaminants – diethylene glycol. | @Banjotkaur#Gambia #WHO #CoughSyrup https://t.co/je8JfTiiLm
— The Wire (@thewire_in) October 6, 2022
इसके अतिरिक्त हमेशा से अपना भारत विरोधी पक्ष जगजाहिर रखने वाले मीडिया पोर्टल बीबीसी ने भी बिना किसी आधिकारिक पुष्टि के भारत में निर्मित सिरप को बच्चों की मौत का दोषी बता दिया।
Indian-made cough syrups have been linked to the deaths of 70 children in The Gambia – but this isn't the first time it has happenedhttps://t.co/OLV3AjUQLB
— BBC World Service (@bbcworldservice) October 13, 2022
सबसे पहले खबर को ब्रेक करने की इस दौड़ में अंग्रेजी न्यूज चैनल इंडिया टुडे भी शामिल हो गये और सीधे-सीधे भारत निर्मित सिरप को बच्चों की मौत का दोषी बता दिया।
#WHO has said that four #coughsyrups by India's Maiden Pharmaceuticals are potentially linked to deaths in #Gambia@snehamordani https://t.co/vVZWGaSpcD
— IndiaToday (@IndiaToday) October 5, 2022
भारत का फार्मा उद्योग लगातार रहा है षडयंत्र का शिकार
भारत का फार्मा उद्योग विश्व में जेनेरिक दवाओं का सबसे बड़ा निर्माता है, जेनेरिक दवाएं ऐसी दवाएं होती हैं जिनकी कीमत बड़ी कम्पनियों की दवाइयों से काफी कम होती है और यह आम आदमी की पहुँच में होती हैं। भारत में निर्मित जेनेरिक दवाओं की पूरे विश्व में काफी अच्छी मांग और साख है। इसीलिए भारत को ‘विकाशसील देशों की फार्मेसी’ कहा जाता है।
पिछले कुछ वर्षों में भारत का फार्मा उद्योग काफी तेजी से बढ़ा है, वर्ष 2012 में इसका आकार 12 बिलियन डॉलर का था, वर्तमान में यह करीब 50 बिलियन डॉलर है। इसके इस दशक के अंत तक करीब 130 बिलियन डॉलर हो जाने की उम्मीद है।

ऐसे में यह स्वाभाविक सी बात है कि विदेशी कम्पनियां जो कि पूरे विश्व में दवाइयां ऊंचे दामों पर बेचती रही हैं, उन्हें भारत की सस्ती और प्रभावशाली दवाओं से आपत्ति हो। भारत के फार्मा उद्योग के खिलाफ लगातार षड्यन्त्र होते आए हैं। दुखद बात यह है कि इसमें भारत के भी बड़े नाम शामिल रहे हैं। यह तत्त्व लगातार भारतीय दवाइयों की विश्वशनीयता पर सवाल उठाते रहे हैं।
सबसे ताजा उदाहरण भारत में स्वदेशी रूप से भारत बायोटेक द्वारा निर्मित कोरोना वैक्सीन के ऊपर हुए बवाल का है। लगातार विदेश से फंड होने वाले मीडिया और तथाकथित बुद्धिजीवियों ने तब इस वैक्सीन के खिलाफ पूरा एक अभियान छेड़ दिया था।
Why is the @CDSCO_INDIA_INF and the main stream media in India mute on the WHO action on Covaxin?
— Dinesh S. Thakur (@d_s_thakur) April 15, 2022
My piece 👇https://t.co/WmIHZVFSQv@Neurophysik @svaradarajan @AbhinandanSekhr @PriyankaPulla @pash22 @GorwayGlobal @tajmahalfoxtrot @samar11 @amitguptabliss @DocVatsa
विश्व स्वास्थ्य संगठन ने भारत बायोटेक की कोवैक्सीन को अपनी मंजूरी देने में भी अनावश्यक रूप से बहुत ज्यादा देरी लगाई जबकि फाइजर और मोडेर्ना जैसी कम्पनियों की वैक्सीनों को आनन-फानन में मंजूर कर लिया गया था। हाल ही में आई खबरों के मुताबिक इन विदेशी कम्पनियों की वैक्सीन उतनी प्रभावी भी नहीं थी।
इसके पहले सिप्ला के द्वारा एड्स की दवा को वर्ष 2001 के दौरान काफी सस्ते दामों पर उपलब्ध कराए जाने पर विदेशी कम्पनियाँ जो कि वही दवाई कई गुना महंगे दामों पर बेंच रहीं थी ने इसे रोकने का प्रयास किया था।
विदेशी कम्पनियां यह दवाई एड्स से सबसे अधिक प्रभावित अफ्रीका में 10,000- 15,000 डॉलर में बेचना चाह रहीं थी जबकि भारत की सिप्ला ने इसे मात्र 350 डॉलर में इसे देने की पेशकश की थी। विदेशी कंपनियों ने इसे सिप्ला के द्वारा बाजार हथियाने की एक रणनीति के तौर पर बताया था।

इन कम्पनियों का भारत की जेनेरिक दवा कम्पनियों के खिलाफ सबसे बड़ा दांव पेटेंट आदि को लेकर होता है, कीमतें ऊंची रखने के लिए यह कम्पनियां अमेरिका और बाकी देशों में सरकार के प्रति लॉबीइंग करती रही हैं।
आगे आने वाले लेखों में हम आपको भारत के फार्मा उद्योग के उदय और भारत के दवाओं के क्षेत्र आत्मनिर्भर होने के साथ-साथ पूरे विश्व में जेनेरिक दवाओं का सबसे बड़ा निर्माता बनने के विषय में बताएँगे, इसके अतिरिक्त हम आपको भारत के फार्मा उद्योग के खिलाफ होने वाले षड्यंत्रों, कोरोना महामारी के दौरान वैक्सीन के खिलाफ हुए दुष्प्रचार आदि को भी बताएंगें।