पाकिस्तान में आई बाढ़ की समस्या ने उसे आर्थिक और सामाजिक स्तर पर नुकसान तो पहुँचाया ही है, साथ ही वह अब कई तरह की स्वास्थ्य समस्याओं से जूझ रहा है। पाकिस्तान में आई बाढ़ से कई इलाके क्षतिग्रस्त हुए हैं, पानी की निकासी नहीं हो रही है। इससे मच्छरों की तादाद के साथ ही बीमारियाँ भी बढ़ गई हैं, जिनमें मलेरिया का प्रकोप सबसे ज्यादा है।
WHO की एक रिपोर्ट के मुताबिक, जनवरी 2023 तक पाकिस्तान के 32 जिलों में 2.7 मिलियन लोग मलेरिया से प्रभावित होंगे। इस स्थिति से बचने के लिए पाकिस्तान भारत से करीब 62 लाख मच्छरदानी खरीदने वाला है।
हालाँकि, भारत और पाकिस्तान के बीच यह खरीद सीधे तौर पर नहीं होगी। दोनों देशों के बीच पुलवामा हमले के बाद से ही करीब 3 साल से व्यापार नहीं हो रहा है।
पाकिस्तान भारत से मदद क्यों ले रहा है? यह जानने से पहले वहाँ की स्थिति समझना जरूरी है। मई-जून के दौरान पाकिस्तान में भीषण बाढ़ से 1700 से ज्यादा लोगों की मौत हुई है। करीब 33 लाख लोगों को विस्थापित होना पड़ा था और देश का तीसरा हिस्सा पानी में डूब गया था।
यूनिसेफ के मुताबिक पाकिस्तान में आई बाढ़ ने करीब 1.6 करोड़ बच्चों को प्रभावित किया है और ये आँकड़ा अभी ओर बढ़ सकता है। अब बाढ़ तो खत्म हो गई लेकिन, इसका असर इस्लामाबाद में बीमारियों के प्रकोप के जरिए सामने आ रहा है। यहाँ के किसानों का कहना है कि भीषण बाढ़ के कारण देश 50 साल पीछे चला गया है।
उनका कहना सही भी है, क्योंकि बाढ़ के चलते यहाँ करीब 10 लाख एकड़ की फसल बर्बाद हुई है। कुल आँकड़ों के अनुसार 2.2 लाख करोड़ रुपए की फसल बर्बाद हुई जो कि पाकिस्तान की जीडीपी का करीब 3 फीसदी है।
इसके साथ ही, यहाँ 6,689 किमी का सड़क नेटवर्क बर्बाद हो गया। 17.39 लाख से ज्यादा घर तबाह हो गए, जिससे लोग विस्थापित होकर कठिन परिस्थितियों में जीवन यापन को मजबूर हैं।
WHO पाकिस्तान के एक ट्वीट के अनुसार, बाढ़ के कारण यहाँ नवजात बच्चों का टीकाकरण नहीं हो पा रहा है। साथ ही, यहाँ कई क्षेत्रों में बीमारियों के टीके नहीं लग पा रहे हैं। बच्चों सहित हजारों लोग वेक्टर जनित बीमारियों से प्रभावित हैं।
Newborns in #Pakistan have missed out on their first crucial vaccine dose due to floods. @WHO works to immunize all children incl. internally displaced people by providing mobile vaccination services. #HealthForAll pic.twitter.com/nNLa4cvDQW
— WHO Pakistan (@WHOPakistan) September 22, 2022
ऐसे में कई देश पाकिस्तान की मदद के लिए आगे आए हैं। इस्लामाबाद को सबसे ज्यादा मदद संयुक्त अरब अमीरात द्वारा उपलब्ध करवाई गई है। इसके बाद अमेरिका ने भी पाक की मदद की है। हालाँकि, चीन से दोस्ती के मुताबिक मदद पाक को नहीं मिल पाई है।
हालात इतने खराब हैं कि नेपाल जो स्वयं प्राकृतिक समस्याओं से जूझ रहा है, ने पाकिस्तान को 20 करोड़ रुपए की मदद की है। हालाँकि, इस्लामाबाद में फैल रही बीमारियों और सेवाओं की कमी की वजह से उसे इससे भी ज्यादा मदद की आवश्यकता है।
पाकिस्तान में WHO के प्रतिनिधि डॉ. पलिथा महिपाल (Dr Palitha Mahipala) के अनुसार, यहाँ जनवरी, 2023 तक 2.7 मिलियन लोग मलेरिया से प्रभावित होंगे। इनमें से सिंध और बलूचिस्तान सबसे ज्यादा प्रभावित क्षेत्र हैं। उन्होंने बताया कि दिसंबर तक मलेरिया का आँकड़ा 2 मिलियन तक पहुँच जाएगा।
पाकिस्तान में मलेरिया के उन्मूलन के लिए विश्व स्वास्थ्य संगठन युद्धस्तर पर काम कर रहा है। WHO ने यहाँ ग्रेड-3 लेवल की इमरजेंसी घोषित की है, जिसका अर्थ है कि इसमें देश, स्थानीय कार्यालय और हेडक्वार्टर मिलकर इसमें काम कर रहे हैं। हालाँकि, यह भारत की मदद के बिना संभव नहीं है।
इस पर भी पाकिस्तान अपनी कथित शान बनाए रखने के लिए भारत से सीधे मदद नहीं माँग रहा है। पाकिस्तान में स्थित WHO के द्वारा ही भारत की ओर से पाकिस्तान को यह मदद मुहैया करवाई जाएगी।
हालाँकि, WHO के इस मुहिम में फंडिंग द ग्लोबल फंड्स द्वारा की जा रही है। यह संस्था विश्वस्तर पर एड्स, टीबी और मलेरिया के उन्मूलन के लिए काम कर रही है। पाकिस्तान सरकार के लापरवाही भरे रवैए को नजरअंदाज कर ग्लोबल फंड्स और WHO लोगों को बीमारियों से बचाने ओर उनका जीवन बेहतर बनाने की दिशा में काम कर रहे हैं।
Approximately 10% of all of #Pakistan’s health facilities have been damaged. We estimate that over 2000 women are giving birth every day in unsafe conditions. Many more lives could be lost in the coming weeks due to outbreaks if we don’t mobilize greater support for #Pakistan. pic.twitter.com/7EPlggerQb
— Tedros Adhanom Ghebreyesus (@DrTedros) October 4, 2022
अंतरराष्ट्रीय संगठनों सहित करीब 16 देशों द्वारा पाकिस्तान की मदद की जा रही है लेकिन, भारत जो मदद अप्रत्यक्ष रूप से पाकिस्तान को उपलब्ध करवा रहा है वो इन सब से कई ज्यादा है।
मच्छरदानी की ही बात करें तो भारत इसका बड़े स्तर पर उत्पादन करता है, साथ ही अफ्रीका के कई देशों को मच्छरदानी का निर्यात भी करता है। WHO को जब भी किसी देश में मच्छर जनित बीमारियों के लिए ऐसी मदद की आवश्यकता आती है तो भारत का नाम इसमें सबसे ऊपर होता है। ये मदद मच्छरदानियों तक सीमित नहीं है, बल्कि आने वाले समय में भारत इस्लामाबाद की मदद दवाइयों के जरिए भी करेगा।
दरअसल, इस्लामाबाद की समस्या से लड़ने के लिए जिसकी सबसे ज्यादा जरूरत पड़ेगी वो है हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन (Hydroxychloroquine) की। यह एक ऐसी दवा है जिसका उपयोग मलेरिया से लड़ने के लिए किया जाता है।
भारत हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन का बड़े स्तर पर निर्यात करता है और 2020 के दौरान करीब 40 देशोंं को इसकी सप्लाई कर चुका है। ऐसे में पाकिस्तान में बीमारियाँ अगर बढ़ीं, तो उनसे निबटने में यह मदद भी अप्रत्यक्ष रूप से भारत ही करेगा और लाखों लोगों की जान भी बचाएगा।
हालाँकि, पाकिस्तान सरकार इससे कोई इत्तेफाक नहीं रखती है। हाल ही में जब सरकार से भारत के साथ हवाई या रेल लिंक खोलने की बात सामने आई तो उनका रुख यहीं रहा कि इस मुद्दे पर ऐसी कोई बात नहीं चल रही है।
हाल ही में पंजाब की AAP सरकार ने इच्छा जताई थी कि भारत और पाकिस्तान के बीच फिर से व्यापार बहाल होना चाहिए। बहरहाल, जो काम पाकिस्तान सरकार को करना चाहिए था वो वहाँ WHO कर रहा है। ऐसे में फिर से व्यापारिक संबंधों को शुरू करना कितना सही रहेगा? यह एक बड़ा प्रश्न है जो फिलहाल अनुत्तरित है।