असम के गोलपाड़ा जिले से 40 किलोमीटर दूर स्थित लखीपुर में अवैध रूप से बनाए गए एक ‘मियाँ म्यूजियम’ को मंगलवार 25 अक्टूबर को सील कर दिया गया। इसके साथ ही म्यूजियम के मालिक मोहोर अली को भी हिरासत में ले लिया गया। म्यूजियम को प्रधानमंत्री आवास योजना के अंतर्गत बनाए गए एक आवास में स्थापित किया गया था।
Assam | Goalpara district admin today sealed Miya Museum inaugurated on Oct 23 in Dapkarbhita village.
— ANI (@ANI) October 25, 2022
As per Goalpara Dy Commissioner's direction, we've sealed the house built under PMAY-G (Pradhan Mantri Awaas Yojana Gramin), inside which Miya Museum was opened: R Gogoi, CO pic.twitter.com/Hs64Qtd1ee
उत्तर-पूर्व राज्यों की खबरें देने वाली समाचार वेबसाइट ‘ईस्टमोजो’ के अनुसार, यह कथित म्यूजियम देपकरभिता गाँव में बनाया गया था जिसे प्रशासन के आदेश पर सील कर दिया गया। म्यूजियम बनाने के लिए उत्तरदायी मोहोर अली का दावा था कि उसमें रखी वस्तुएँ मियाँ समुदाय और संस्कृति को दर्शाती हैं।
मामले के प्रकाश में आने पर असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा ने कहा कि म्यूजियम में रखी कोई भी वस्तु मियाँ समुदाय की नहीं है। वहाँ रखा सब कुछ असमिया समाज का है। स्थान पर केवल एक वस्तु मियाँ समुदाय की है तो वह है ‘लुंगी’।
क्या है पूरा मामला?
असम के गोलपाड़ा जिले में 23 अक्टूबर के दिन एक सरकारी शिक्षक मोहोर अली ने प्रधानमंत्री आवास योजना के अंतर्गत मिले घर में मियाँ समुदाय के संग्रहालय का उद्घाटन किया। ‘इंडिया टुडे नॉर्थ-ईस्ट’ के अनुसार, इसके उद्घाटन में समुदाय के कई लोग उपस्थित थे।
मोहोर अली मियाँ परिषद का अध्यक्ष है। संग्रहालय में असमिया समुदाय द्वारा पारम्परिक रूप से मछली पकड़ने में प्रयुक्त होने वाले यंत्र एवं खेती-बाड़ी के सामान आदि रखे गए थे। इनमें से कुछ वस्तुओं के नाम नागोल (हल), दुवाली, हतसावनी हैं।
शिकायत मिलने पर इस कथित संग्रहालय को मंगलवार के दिन सील कर दिया गया और जिस घर में यह बनाया गया था उसके मालिक मोहोर अली को भी गिरफ्तार कर लिया गया। PTI की एक खबर के अनुसार, मामले में 2 और लोगों को गिरफ्तार किया गया है।
समान जुटा कर दे दिया संग्रहालय का नाम
सामान्यतः संग्रहालय में वे वस्तुएं रखी जाती हैं, जिनके समर्थन में ऐतिहासिक, सामाजिक और वैज्ञानिक तथ्य हों। एक संग्रहालय बनाने समुचित शोध एवं मेहनत लगती है तथा उसमें रखी वस्तुओं ऐतिहासिक महत्व होता है । संग्रहालय में रखी वस्तुओं को लेकर किए जाने वाले दावों के पीछे लिखित वैज्ञानिक शोध होता है। वस्तुओं को मात्र सजाकर रख देना और उन्हें संग्रहालय का नाम दे देना एक हास्यास्पद काम है।
वस्तुओं को एकत्र करके रखने को संग्रहालय नहीं कहा जा सकता, ख़ासकर तब जब इसका प्रयोग एक समुदाय की संस्कृति को दर्शाने के लिए किया जा रहा हो। असम में जो कुछ हुआ वह आपत्तिजनक है क्योंकि इसके पीछे कोई वैज्ञानिक और ऐतिहासिक तथ्य नहीं थे।
कौन हैं ‘मियाँ’?
असम में मियाँ उन मुस्लिमों को कहा जाता है जो मूल रूप से असमिया ना होकर बांग्ला मूल के हैं और पूर्वी बंगाल (बांग्लादेश) से पलायन कर असम में घुसे हैं। इनकी जनसंख्या असम की कुल जनसंख्या का करीब 30% है। इनका ज्यादातर फैलाव निचले असम (ब्रह्मपुत्र के दक्षिण का इलाका) में है।
जिस जिले गोलपाड़ा में यह घटना हुई है, उसमें मुस्लिम आबादी बहुसंख्यक है और 2011 के जनसंख्या के आँकड़ों के अनुसार 55% से अधिक है। मियाँ समुदाय की भाषा अधिकतर बांग्ला है। मियाँ शब्द ईरान से आया है जहाँ इसका अर्थ भद्रपुरुष के लिए किया जाता है। हालाँकि इन इलाकों में यह शब्द मुख्यतः मुस्लिम पहचान के लिए प्रयुक्त होता है।
संग्रहालय में रखी गईं वस्तुओं पर बहस
मियाँ समुदाय के इस कथित संग्रहालय में रखी गई वस्तुओं पर भी विवाद हो गया है। इण्डिया टुडे नॉर्थ-ईस्ट को बयान देते हुए असम सरकार में मंत्री पिजुष हजारिका ने कहा, “असमिया संस्कृति को चुराकर संग्रहालय में रखने को बर्दाश्त नहीं किया जा सकता।”
स्थानीय लोगों के अनुसार नागोल (हल), दुवाली, हस्तावनी एवं अन्य मछली पकड़ने के जो सामान संग्रहालय में मियाँ समुदाय की संस्कृति को दर्शाते हुए रखे गए हैं, वह असमिया समुदाय के हैं।“ यह और कुछ नहीं असमिया संस्कृति की चोरी है।
Assam | What's new in it? Tools & equipment kept there belong to Assamese people except for 'Lungi'. They must prove to govt that 'Nangol' is used only by Miya people & not others, otherwise case will be registered: CM on inauguration of private Miya Museum in Goalpara district pic.twitter.com/GPD3hrkKRo
— ANI (@ANI) October 25, 2022
वहीं, असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा ने कहा, “मुझे यह नहीं समझ आ रह कि यह किस प्रकार का संग्रहालय है। जो हल (नागोल) उस संग्रहालय में रखा गया है वह असमिया लोगों का है, मछली पकड़ने वाले सभी उपकरण भी असमिया लोगों के ही हैं। इसमें नया क्या है? हाँ, उसमें रखी सिर्फ लुंगी उनकी है। उनको यह सिद्ध करना होगा कि यह हल उनका ही है वरना उनके विरुद्ध मुकदमा कायम किया जाएगा।”
असमिया पहचान में घुलने का प्रयास
मियाँ समुदाय द्वारा इस संग्रहालय को खोलने के पीछे वह प्रयास माना जा रहा है जिसके अंतर्गत यह समुदाय अपने आप को बाहरी बांग्लादेशी नहीं बल्कि मूल असमिया बताना चाह रहा है।
इससे पहले मियाँ कविताओं के माध्यम से कुछ बंगाली मियाँ कवियों ने अपने खिलाफ होने वाले कथित उत्पीड़न को बताने का प्रयास किया था जिससे राज्य में काफी हो हल्ला हुआ था।