देश में ‘आत्मनिर्भर भारत’ के एक नए अध्याय की शुरुआत होने जा रही है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुजरात के वड़ोदरा में टाटा-एयरबस के संयुक्त वेंचर वाली फैक्ट्री की आधारशिला रखी है। इस फैक्ट्री में भारतीय वायु सेना के लिए नए सी-295 मालवाहक विमानों का निर्माण किया जाएगा। भारत ऐसे विमान बनाने की क्षमता रखने वाला 12वाँ देश बन गया है।
WATCH | PM @narendramodi lays the foundation stone of C-295 Aircraft manufacturing facility in Vadodara, Gujarat.
— Prasar Bharati News Services & Digital Platform (@PBNS_India) October 30, 2022
It is the first private aircraft manufacturing facility in the country.@SpokespersonMoD @IAF_MCC @Airbus pic.twitter.com/R7b4oKAI8Y
40 की संख्या में विमान अभी के ऑर्डर के अनुसार इस फैक्ट्री में बनाए जाएँगे। इन विमानों की खरीद के लिए पिछले वर्ष 2021 के सितम्बर में माह रक्षा मंत्रालय की मंजूरी मिली थी। जानकारी के अनुसार कुल 56 विमानों की खरीददारी की जाएगी, जिनमें से 40 विमानों का निर्माण भारत में होगा। 16 विमान तैयार हालत में भारत लाए जाएँगे।
प्रधानमंत्री मोदी अपने गृह जिले वड़ोदरा में इस विमान फैक्ट्री की आधारशिला रखी है। इस फैक्ट्री में प्रति वर्ष 8 विमान बनेगें तथा 5 साल में सभी विमानों की आपूर्ति वायु सेना को कर दी जाएगी।
पुराने AVRO विमानों को बदलेंगें यह विमान, काफी नई तकनीक से हैं लैस
इन मालवाहक विमानों की जरूरत वायु सेना को लम्बे समय है। वायु सेना इन 56 विमानों के माध्यम से अपने बेड़े में शामिल लगभग 6 दशक पुराने AVRO विमानों को बदलेगी। इन पुराने विमानों के मुकाबले यह नए सी-295 विमान काफी नई तकनीकों से लैस हैं और साथ ही ज्यादा किफायती और चलाने में सुरक्षित हैं।
सी-295 विमानों को फ्रांस की सैन्य और सामान्य सवारी विमान बनाए वाली कम्पनी एयरबस बनाती है। यह विमान दो टर्बोप्रोप इंजन से लैस हैं। इनके अंदर एक साथ 71 सैनिकों को ले जाया जा सकता है। इसके विभिन्न उपयोग भी हो सकते हैं। इसमें एक साथ 50 पैराट्रूपर सैनिक या 24 स्ट्रेचर भी ले जाई जा सकती हैं।
दरअसल जिन AVRO विमानों को इन सी 295 के जरिए हटाया जा रहा है वह काफी पुराने थे और उनका उपयोग भी काफी सीमित था। हॉकर सिडले कम्पनी द्वारा निर्मित इन विमानों में बैक रैम्प भी नहीं था जिससे इसमें सामान चढ़ाना भी संभव नहीं होता है।
पुराने होने की वजह से इन विमानों का रखरखाव भी एक समस्या है क्योंकि इनके कल पुर्जे भी अब कम उपलब्ध हैं। साथ ही सी-295 विमान इन पुराने विमानों से कहीं अधिक सुरक्षित होने वाले हैं और ज्यादा इलाकों में काम करने में सक्षम हैं। यही विशेषताएं इन विमानों को भारतीय वायुसेना के लिए काफी उपयुक्त बनाती है।
देश में निर्माण से छोटे और मध्यम उद्योगों को बढ़ावा
इन 56 विमानों को लगभग 22,000 करोड़ रुपए में खरीदा जा रहा है। कुल 56 की संख्या में आने वाले इन विमानों में से 40 का निर्माण भारत में ही होगा। फिलहाल 8 विमान हर साल बनाने की योजना पर काम चल रहा है।

इन विमानों के निर्माण के लिए एक नए तरह की रणनीति बनाई गई है जिसमें एक विदेशी कम्पनी एक भारतीय कम्पनी के साथ मिलकर देश के अंदर ही किसी भी रक्षा उत्पाद का निर्माण करती है। इससे पहले थल सेना के लिए के-9 वज्र तोपों का निर्माण भी इसी योजना के तहत हुआ था।
इन विमानों के निर्माण से भारत के लघु और मध्यम उद्योगों को भी काफी फायदा होगा, 125 भारतीय कम्पनियाँ इस विमान के लिए कल-पुर्जों की आपूर्ति करेंगी। इन कम्पनियों से देश में रक्षा निर्माण को और मजबूती मिलेगी।
टाटा पहले से ही विमान निर्माण में शामिल है, अभी तक टाटा की एक इकाई बोईंग के अपाचे लड़ाकू हेलिकॉप्टर के लिए एयरफ्रेम बनाती है। इसके अतिरिक्त विमानों के काफी पुर्जों का निर्माण भी टाटा कम्पनी देश में करती आई है।
आगे और बढ़ सकती है संख्या
विशेषज्ञों के अनुसार, भले ही अभी 56 विमानों का ऑर्डर दिया गया हो पर आगे यह संख्या और बढ़ सकती है। वायु सेना के बेड़े में शामिल अन्य हलके मालवाहक विमान AN-32 को भी आने वाले समय में जब रिटायर किया जाएगा तो हो सकता है कि यही विमान उनकी जगह लें।
वहीं, थल सेना और तटरक्षक भी अपने लिए ऐसे ही विमानों की माँग कर रहे हैं। इस प्रकार आने वाले समय में इन विमानों की संख्या 150 तक पहुँचने की उम्मीद है और साथ ही यह भी कहा जा रहा कि भविष्य में इन विमानों को बाहर आयत भी किया जा सकेगा।