पंजाब के खालिस्तान समर्थक सांसद सिमरनजीत सिंह मान को जम्मू कश्मीर में प्रवेश करने से रोक लगा दी गई है। शिरोमणि अकाली दल (अमृतसर) के प्रमुख और संगरूर से सांसद मान को पुलिस ने 17 अक्टूबर, 2022 की रात लखनपुर में ही रोक दिया था। इसके बाद से ही सिमरनजीत सिंह मान और उनके समर्थक कठुआ बॉर्डर के लखनपुर पर डेरा डाले हुए हैं।
डीएसपी कठुआ सुखदेव सिंह जामवाल ने 144 सीआरपीसी के तहत आदेश जारी करते हुए कहा है कि मान का दौरा जम्मू-कश्मीर की सार्वजनिक शांति को भंग कर सकता है, इसलिए सरकार और जिला प्रशासन द्वारा मान को केंद्र शासित प्रदेश में प्रवेश की अनुमति नहीं दी है।
बताया जा रहा है कि इस घटना से नाराज़ मान के सदस्यों ने ‘ख़ालिस्तान ज़िंदाबाद’ के नारे भी लगाए। इसके बाद प्रशासन ने मौक़े पर धारा 144 लागू कर दी है।
Party Members & I’ve entered J&K. Police with orders from GOI have stopped my entry into Kashmir without assigning any reason. I have a Constitutional right to be represented by lawyer, which isnt being allowed. Union Home Minister Mr. Shah says there is complete peace in J&K 1/2 pic.twitter.com/yH4GE7sA08
— Simranjit Singh Mann (@SimranjitSADA) October 17, 2022
वहीं, खालिस्तान समर्थक मान का कहना है कि वो सिख हैं इसलिए भाजपा और आरएसएस द्वारा उन्हें जम्मू कश्मीर में प्रवेश नहीं करने दिया जा रहा है। उन्होंने कहा, “यहाँ कोई लोकतंत्र नहीं है…. मैं बाहरी दुनिया को यहाँ की सच्चाई दिखाना चाहता हूँ।”
जम्मू कश्मीर प्रशासन ने सार्वजनिक शांति का कारण देते हुए मान के प्रवेश पर रोक लगाई है। हालाँकि, खालिस्तानी राज्य की स्थापना कर भारत पाक के बीच बफर स्टेट बनाने की पेशकश करने वाले ‘शांति समर्थक’ सिमरनजीत सिंह मान का कहना है कि वे क्यों केंद्र शासित प्रदेश में अशांति फैलाएंगे?
दरअसल, दोष जम्मू कश्मीर के प्रशासन का नहीं है। सांसद ने जब से आईपीएस ऑफिसर के पद से इस्तीफा देकर राजनीति में कदम रखा है उनका विवादों के साथ अटूट संबंध बन गया है। मान को अब तक 30 से अधिक बार जेल भेजा गया है या हिरासत में लिया गया है।
मान द्वारा शहीद भगत सिंह को आतंकवादी बताना, 15 अगस्त को तिरंगा की जगह सिख झंडा फहराने की बात करना तो सिर्फ चर्चा में बने रहने के तरीके हैं। जरनैल सिंह भिंडरांवाले की तालीम को स्वयं की जीत का श्रेय देने वाले मान ऑपरेशन ब्लू स्टार के विरोध में इस्तीफा देकर चर्चा में आए थे। मान के खिलाफ उस समय वारंट जारी हुआ था और तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गाँधी के हत्या की साजिश में शामिल होने के लिए जेल भी गए थे।

संगरूर से चुनाव जीतने के बाद सिमरनजीत सिंह मान ने खालिस्तान का जिक्र तो किया ही था। साथ ही, कहा था कि ये जरनैल सिंह भिंडरांवाले की शिक्षा की जीत है। चरमपंथी जरनैल सिंह भिंडरांवाले वही हैं, जिनकी वजह से पंजाब ने 1978 में ‘खूनी बैसाखी की घटना’ हुई थी।
स्वतंत्रता सेनानियों का अपमान और आतंकवादियों के समर्थन के अलावा सिमरन सिंह मान अपने कट्टर और अड़ियल रवैए के लिए जाने जाते हैं। 1990 में देश के प्रधानमंत्री से मिलने पहुँचे मान ने जिद की थी कि वो कृपाण को हाथ में लेकर जाएंगे। हालाँकि, यह संसद के प्रोटोकॉल के खिलाफ था, इसी लिए उन्हें संसद में प्रवेश से वंचित कर दिया गया था।
पिछले कई वर्षों से सिमरनजीत सिंह मान केंद्र सरकार और उसकी नीतियों के विरुद्ध बयान देते रहे हैं पर जम्मू और कश्मीर में घुसकर वे क्या हासिल करना चाहते हैं, यह अभी तक स्पष्ट नहीं है। भाजपा और प्रधानमंत्री मोदी की आलोचना एक तरफ पर कश्मीर जाकर शांति भंग करने का मान के प्रयास से जम्मू और कश्मीर सरकार को कड़ाई के पेश आने की आवश्यकता उनके इतिहास को देखते हुए समझ आता है।