अफगानिस्तान की राजधानी काबुल में शुक्रवार (सितम्बर 30, 2022) को एक शिक्षण संस्थान के भीतर आत्मघाती हमला हुआ है। आधिकारिक आँकड़ो के अनुसार, इस हमले में 19 लोगों की मौत हुई है। 27 से अधिक लोग गम्भीर रूप से घायल हैं।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक यह आत्मघाती हमला सुबह 7:30 बजे के करीब हुआ है। इस दौरान काज शिक्षण संस्थान में तकरीबन 600 छात्र-छात्राएँ विश्वविद्यालय की प्रवेश परीक्षा देने के लिए गए थे।
#UPDATE Most of the casualties from a suicide bombing that struck a learning centre in the Afghan capital were girls, a student who was wounded in the attack tells @AFP.
— AFP News Agency (@AFP) September 30, 2022
The male student says there were at least 600 students preparing for university entrance exams at the centre pic.twitter.com/0AWSYeWnlb
स्थानीय पुलिस ने मीडिया को बताया है कि इस हमले की जिम्मेदारी अभी तक किसी आतंकवादी संगठन ने नहीं ली है। रिपोर्ट्स के मुताबिक इस हमले में घायल हुए लोगों को नजदीकी अली जिन्ना अस्पताल ले जाया गया। वहाँ डॉक्टर अब्दुल गयास ने 23 लोगों की मृत्यु और 36 से अधिक लोगों के घायल होने की बात कही। दावा किया जा रहा है कि मौत के आँकड़े अभी और बढ़ सकते हैं।
घटना के प्रत्यक्षदर्शी ने समाचार एजेन्सी रॉयटर्स को बताया कि “सुबह वह घर पर था। तब उसने धमाके की आवाज सुनी। इसके बाद शिक्षण संस्थान से धुआँ उठता देख, वह अपने पड़ोसी के साथ मदद के लिए दौड़े। चश्मदीद ने बताया, “मैं और मेरे दोस्त ने लगभग 15 घायलों और 9 शवों को बाहर निकाला। जबकि, अन्य शव कक्षा के अन्दर कुर्सी और मेज के नीचे पड़े थे।”
These are Hazara teenage girls who were slaughtered inside their class in west Kabul. They had gone to learn and change the lives of themselves and the people but the suicide attacker STOPPED them. pic.twitter.com/VvuZ67Qn7h
— Tajuden Soroush (@TajudenSoroush) September 30, 2022
इस हमले को हजारा समुदाय को चिह्नित कर मारने के रूप में देख जा रहा है। यह हमला जिस क्षेत्र में हुआ है, वहाँ हजारा समुदाय के काफी लोग रहते हैं। अफगानिस्तान में तालिबान शासन के बाद से हजारा समुदाय जो शिया मुस्लिम अल्पसंख्यक हैं, इन पर इस्लामिक स्टेट खुरासन प्रान्त (ISIS-K) और अन्य कट्टरपंथी समूह द्वारा लक्षित रूप से हमला किया जाता रहा है।
इस्लामिक स्टेट खुरासन प्रान्त ने कई बार शिया मुस्लिम अल्पसंख्यक हजारा समुदाय पर हमले की प्रत्यक्ष और परोक्ष रूप से जिम्मेदारी ली है।
हजारा समुदाय के खिलाफ तालिबान
इसके साथ ही तालिबान शासन पर भी आरोप लगते आए हैं कि तालिबान शासन में हजारा समुदाय जोकि अफगानिस्तान की कुल जनसंख्या का कुल 10% है। शिया समुदाय से होने के कारण अत्याचार होते रहते हैं। तालिबान शासन में शियाओं पर अत्याचार की एक लम्बी फहरिस्त है।
90 के दशक के अन्त में भी तालिबान ने अफगानिस्तान के मजार-ए-शरीफ में खूब तबाही मचाई थी। तालिबानी लड़ाकों ने तब हजारा समुदाय के लोगों को चुन-चुनकर मारा था। तालिबान की हजारा समुदाय के खिलाफ नफरत का अन्दाजा इस बात से लगाया जा सकता है जब, तालिबान के गवर्नर रहे मुल्ला मन्नान नियाजी ने कहा था, “उज्बेक लोग उज्बेकिस्तान जाएँ, ताजिक लोग तजाकिस्तान चले जाएँ और हजारा या तो मुसलमान बन जाएँ या फिर कब्रिस्तान जाएँ।”
अगस्त 2021 में अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जे के बाद तालिबान ने इस बात पर जोर दिया था कि वे दशकों के युद्ध के बाद अब अफगानिस्तान को सुरक्षित करेंगे। हालाँकि, बीते एक साल में स्कूल, गुरुद्वारों, मस्जिदों और अन्य जगहों पर भयानक विस्फोट ही हुए हैं।
अगस्त 2021 के बाद से अब तक बड़े हमले
- तालिबान शासन के अन्तर्गत कई हमले हुए हैं। सबसे पहले और सबसे बड़ा हमला 26 अगस्त 2021 को काबुल हवाई अड्डे पर हुआ। इस हमले में 170 से अधिक अफगानी नागरिक मारे गए और सैकड़ों लोग गम्भीर रूप से घायल हुए।
- इसके बाद काबुल और जलालाबाद में 18 और 22 सितम्बर को विस्फोट हुआ। इसमें क्रमश: 7 और 5 लोग मारे गए।
- अक्टूबर महीने 8 हमले हुए। इनमें सबसे बड़ा हमला 8 अक्टूबर को कुंदुज में एक शिया मस्जिद में जुमे की नमाज के दौरान एक आत्मघाती बम विस्फोट हुआ। इसमें 72 से ज्यादा लोग मारे गए और 140 से अधिक घायल हो गए।
- 15 अक्टूबर को कंधार बम विस्फोट हुआ। इसमें लगभग 63 लोग मारे गए। इसमें भी आईएस से सम्बन्धित आत्मघाती हमलावर ने जुमे की नमाज के दिन एक शिया मस्जिद में विस्फोट किया।
- 2 नवम्बर को काबुल के दाउद खान अस्पताल में विस्फोट और गोलीबारी हुई। इस हमले में 25 लोग से अधिक मारे गए। छुट-पुट हमले इसके बाद भी होते रहे।
साल 2022 में अब तक के बड़े हमले
- 5 जनवरी 2022 को अफगानिस्तान के लश्करगाह में एक हवाई हमले 5 नागरिकों की मौत हो गई। वहीं 5 नागरिक गंभीर रूप से घायल हो गए।
- 22 जनवरी को, अफगानिस्तान के हेरात प्रान्त के शिया बहुल इलाके में एक मिनी वैन में एक बम विस्फोट हुआ। इसमें तकरीबन 7 नागरिक मारे गए और 9 अन्य घायल हो गए।
- 4 मार्च को पक्तिया प्रांत की एक मस्जिद में बम विस्फोट हुआ। इसमें 3 से अधिक लोग मारे गए और 24 से ज्यादा लोग घायल हो गए।
- 19 अप्रैल की सुबह, अफगानिस्तान के काबुल में शिया हजारा इलाके में अब्दुल रहीम शाहिद सेकेंडरी स्कूल में एक के बाद एक तीन विस्फोट हुए, जिसमें 10 से अधिक लोग मारे गए और कई छात्र घायल हो गए।
- 21 अप्रैल को बल्ख प्रान्त के मजार-ए-शरीफ में शिया सेह दोकन मस्जिद में भयानक बम धमाका हुआ। इसमें तकरीबन 31 लोग मारे गए और 87 से अधिक घायल हो गए।
- 22 अप्रैल को अफगानिस्तान के कुंदुज में सूफी मावलवी सिकंदर मस्जिद पर बमबारी हुई, जिसमें 33 लोग मारे गए और 43 से अधिक घायल हो गए।
- 28 अप्रैल को भी बल्ख प्रान्त के मजार-ए-शरीफ में दो बार बम विस्फोट हुआ। इसमें लगभग 11 लोग मारे गए और 13 से अधिक लोग घायल हो गए।
- 29 अप्रैल को पश्चिमी काबुल में एक सुन्नी मस्जिद में एक बम विस्फोट हुआ, जिसमें तकरीबन 10 लोग मारे गए।
- 25 मई को अफगानिस्तान के काबुल में हजरत जकारिया मस्जिद पर बमबारी में तकरीबन 5 लोग मारे गए थे।
- 18 जून को काबुल में करते परवान गुरुद्वारे में विस्फोट हुआ। हमले में एक सिख सहित दो लोगों की मौत हो गई और सात अन्य घायल हो गए।
- 5 अगस्त को, काबुल में मुहर्रम के जुलूस पर बमबारी हुई। इस हमले में कम से कम 8 लोगों की मौत हो गई और 18 अन्य घायल हो गए।
- हाल ही में 5 सितम्बर को काबुल में रूसी दूतावास के बाहर एक आत्मघाती हुआ। इस हमले में रूसी दूतावास के 2 कर्मचारी समेत अफगानी नागरिक मारे गए।
- 23 सितम्बर को एक मस्जिद के समीप कार बम विस्फोट में कम से कम सात लोगों की मौत हो गई जबकि कई बच्चों समेत 41 अन्य घायल हो गये।
अफगानिस्तान में तालिबान शासन के बाद स्थिति बेहद चिन्ताजनक है। बम विस्फोट की यह फहरिश्त बहुत लम्बी है। तालिबान को आए हुए 1 साल पूरा हो गया है। हालाँकि, जिस सुरक्षा, स्वतंत्रता और विकास की बात तालिबान ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर दुनिया भर में ढिंढोरा पीटा था, इसकी पोल खुलते ज्यादा देर नहीं लगी।