देश के शीर्ष न्यायालय ने मोदी सरकार द्वारा कमजोर तबकों को 10% आरक्षण दिए जाने के फैसले को वैध बताया है। पाँच सदस्यीय बेंच ने इस विषय में आज अपना अहम फैसला सुनाते हुए कहा कि यह संविधान के आधारभूत ढाँचे को प्रभावित नहीं करता है।
मोदी सरकार ने अपने पहले कार्यकाल के आखिरी महीनों में वर्ष 2019 में देश के अंदर आर्थिक रूप से कमजोर ऐसे वर्गों को जो कि अभी किसी भी आरक्षण का लाभ नहीं पा रहे हैं, 10% आरक्षण देने की घोषणा कर संविधान में 103वाँ संशोधन किया था, जिसे संसद द्वारा भी पारित कर दिया गया था।
इस आरक्षण का मुख्य उद्देश्य आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों (ईडब्ल्यूएस) को मजबूत करना था।
BIG BREAKING: SUPREME COURT UPHOLDS 10% RESERVATIONS FOR ECONOMICALLY WEAKER SECTIONS (EWS) #EWS #SUPREMECOURT pic.twitter.com/cqGA6YaTAm
— Live Law (@LiveLawIndia) November 7, 2022
इस आरक्षण के प्रभावी होने के बाद से ही लगातार कई याचिकाएँ इस आरक्षण के वैधानिक पक्ष को लेकर डाली जा चुकी हैं। इसके पीछे आरक्षण में 50% आरक्षण की सीमा के हटने सहित अन्य मुद्दे थे। आज जिस याचिका पर फैसला आया है, उस मुकदमे का शीर्षक ‘जनहित अभियान बनाम भारत सरकार’ था।
क्या कहा सुप्रीम कोर्ट ने?
सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले को लेकर एक पाँच सदस्यीय बेंच का गठन किया था, आज इस मुद्दे पर फैसला आना था। ध्यात्वय है कि यह उन प्रमुख मामलों में से एक है जिसे भारत के मुख्य न्यायधीश यूयू ललित अपनी सेवानिवृत्ति के पहले निपटा रहे हैं। कल यानी 8 नवंबर को वह सेवानिवृत्त हो रहे हैं।
वैधानिक मामलों की जानकारी देने वाली वेबसाइट ‘लाइव लॉ’ के मुताबिक़, न्यायमूर्ति यूयू ललित के अलावा जज बेला त्रिवेदी, जेबी पारदीवाला, दिनेश माहेश्वरी और रविन्द्र भट्ट वाली बेंच ने अपने फैसले में कहा कि यह EWS आरक्षण 50% आरक्षण सीमा के आधार पर भारत के संविधान का उल्लंघन नहीं करता क्योंकि यह सीमा लचीली है।
वहीं न्यायमूर्ति त्रिवेदी ने कहा कि इसे सरकार के सकारात्मक कदम की तरह देखा जाना चाहिए, इसे हम एक अतार्किक वर्गीकरण नहीं कह सकते। अन्य वर्गों को इसमें शामिल ना करना संविधान का उल्लंघन नहीं करता।
#SupremeCourt
— Bar & Bench (@barandbench) November 7, 2022
Supreme Court upholds 10% reservation for Economically weaker sections
Constitutional Amendment upheld.
Justice Pardiwala says reservation cannot be indefinite.
Justice Ravindra Bhat dissents
#SupremeCourtofIndia #Reservation
वहीं 3 जजों के फैसले से अलग रुख अपनाते हुए मुख्य न्यायधीश यूयू ललित और रविन्द्र भट ने कहा कि आर्थिक आधार पर आरक्षण उल्लंघनीय नहीं है। लेकिन अन्य वर्गों जैसे कि अनूसोचित जाति/जनजाति एवं अन्य पिछड़ा वर्ग के लोगों इसमें शामिल ना करना एक प्रकार का भेदभाव है।
Correction : 3 judges out of the 5-judge bench upholds EWS Quota (Justice Dinesh Maheshwari, Justice Bela Trivedi and Justice JB Pardiwala). CJI UU Lalit and Justice S Ravindra Bhat strike down EWS Quota in their minority judgment. https://t.co/EZn8k1qodd
— Live Law (@LiveLawIndia) November 7, 2022
सरकार के इस फैसले पर सुप्रीम कोर्ट की मोहर ऐसे समय में लगी है जब दो राज्यों में चुनाव चल रहे हैं। ऐसे में यह देखने वाला होगा कि राजनीतिक पार्टियां इसको किस तरह से लेती है। यह स्पष्ट है कि यह मुद्दा आने वाले कुछ दिनों तक चर्चा का विषय रहेगा।