बाल्टिक सागर में रूसी गैस पाइपलाइन नॉर्ड स्ट्रीम 1 और 2 के रिसाव की खबरों के बाद रूस, जर्मनी, डेनमार्क समेत कई यूरेशियाई देशों में बीते सोमवार (सितम्बर 26, 2022) से चिन्ताजनक स्थिति बनी हुई है।
बीते मंगलवार यानी 27 सितम्बर को बाल्टिक सागर में डेनमार्क द्वीप बॉर्नहोम के उत्तर-पूर्व क्षेत्र में नॉर्ड स्ट्रीम गैस पाइपलाइन 1 में दो जगहों पर गैस रिसाव की आधिकारिक जानकारी डेनमार्क सरकार ने दी थी। इसके अलावा नॉर्ड स्ट्रीम 2 पर भी एक रिसाव होने की खबर सामने आई थी।

यह रिसाव किस कारण हुआ है? इसकी स्पष्ट जानकारी अभी तक नहीं मिल पाई है। हालाँकि, रूस-यूक्रेन तनाव के बाद और रूस पर अमेरिका और अन्य यूरोपीय देशों के प्रतिबन्ध के चलते अब यह आशंका जताई जा रही है कि नॉर्ड स्ट्रीम गैस पाइपलाइन में रिसाव प्राकृतिक नहीं बल्कि किसी देश की करामात है।
रिसाव की यह करामात किसकी है?
नॉर्ड पाइपलाइन में रिसाव की घटना के बाद से अमेरिकी राष्ट्रपति जो बायडेन का 7 फरवरी 2022 में रूस-यूक्रेन युद्ध पर दिया गया बयान एक बार फिर चर्चा में हैं। जो बायडेन ने मीडियाकर्मियों से कहा था, “अगर रूस, यूक्रेन पर आक्रमण करता है, तो फिर कोई नॉर्ड स्ट्रीम नहीं बचेंगी। हम इसे समाप्त कर देंगे।”
Pres. Biden: "If Russia invades…then there will be no longer a Nord Stream 2. We will bring an end to it."
— ABC News (@ABC) February 7, 2022
Reporter: "But how will you do that, exactly, since…the project is in Germany's control?"
Biden: "I promise you, we will be able to do that." https://t.co/uruQ4F4zM9 pic.twitter.com/4ksDaaU0YC
नॉर्ड स्ट्रीम गैस पाइपलाइन के रिसाव वाली फोटो के साथ पोलैंड के पूर्व रक्षा मंत्री रैडेक सिकोरस्की का एक ट्वीट इस आशंका को और बढ़ा देता है। सिकोरस्की ‘अमेरिका को धन्यवाद’ करते हैं। सिकोरस्की के ट्वीट का अर्थ यह है कि इस रिसाव का श्रेय अमेरिका को जाता है।
Thank you, USA. pic.twitter.com/nALlYQ1Crb
— Radek Sikorski MEP (@radeksikorski) September 27, 2022
यूरोप के कुछ देश अब रूस पर नॉर्ड स्ट्रीम का अपने निजी हितों के लिए उपयोग करने का आरोप भी लगा रहे हैं। नॉर्ड स्ट्रीम 2 के बाद से रूस पर यूरोपीय देशों की प्राकृतिक गैस की निर्भरता बढ़ने की संभावना है। नॉर्ड स्ट्रीम 2 के माध्यम से ट्रांसपोर्ट शुल्क इत्यादि में कमी आएगी, जिसका लाभ रूस के साथ-साथ यूरोपीय देशों को मिलेगा।
जर्मनी की समाचार पत्रिका डेर स्पीगल ने कुछ सप्ताह पहले ही बाल्टिक सागर में स्थित नॉर्ड स्ट्रीम गैस पाइपलाइन जिससे रूस की तरफ से जर्मनी को प्राकृतिक गैस पहुंचती है। इस पर अमेरिकी खुफिया एजेन्सी सीआईए (CIA) द्वारा नियोजित हमले की आशंका जताई थी।
“The exchange comes at the same moment that Germany magazine Der Spiegel has reported that the CIA warned Germany weeks ago of a coming attack on natural gas pipelines, Nord Stream 1 and 2, which transport natural gas Russia to Germany.” #NordStream2 https://t.co/op0GckNdnt
— Jeff Cunningham (@jeffrygc) September 28, 2022
इस साल मार्च में, यूरोपीय आयोग की अध्यक्ष उर्सुला वॉन डेर लेयेन ने अमेरिकी राष्ट्रपति जो बायडेन के साथ एक संयुक्त टास्क फोर्स के गठन की घोषणा की थी। मीडिया रिपोर्टस के मुताबिक, रूस पर यूरोपीय संघ की निर्भरता को कम करने के लिए अमेरिका यूरोप को 15 बीसीएम से अधिक प्राकृतिक गैस प्रदान करने का वादा किया था।
अमेरिकी राष्ट्रपति जो बायडेन से मुलाकात के कुछ दिन बाद यूरोपीय आयोग की अध्यक्ष उर्सुला वॉन यूक्रेन के राष्ट्रपति व्लादिमीर जेलेंस्की से कीव में मिलने की घोषणा कर देती हैं। क्या यह सब संयोग मात्र है?
⚡️ Zelensky, European Commission President to meet on April 8.
— The Kyiv Independent (@KyivIndependent) April 7, 2022
Zelensky's meeting with Ursula von der Leyen will take place in Kyiv, Zelensky's spokesman Serhiy Nikiforov said on April 7.
नॉर्ड स्ट्रीम गैस पाइपलाइन के रिसाव के ठीक एक दिन बाद पोलैंड ने एक नई बाल्टिक पाइपलाइन परियोजना का उद्घाटन किया है। इसकी मदद से पोलैंड में प्रति वर्ष 10 बीसीएम नॉर्वेजियन गैस आएगी। पौलैंड के राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री ने इस पाइप उद्घाटन करते हुए कहा कि यह पोलैंड के लिए रूसी गैस से सौ फीसदी स्वतंत्रता को सम्भव बनाएगी।
Poland’s president and prime minister inaugurated Baltic Pipe today.
— Visegrád 24 (@visegrad24) September 27, 2022
The new gas pipeline will bring 10 billion cubic meters of Norwegian gas to Poland per year and will make it possible for Poland to become 100% independent of Russian gas. pic.twitter.com/jwda7phE3A
क्या है नॉर्ड स्ट्रीम?
रूस और जर्मनी के बीच बाल्टिक सागर की तलहटी में दो गैस पाइपलाइन हैं। इन्हें नार्ड स्ट्रीम 1 और नार्ड स्ट्रीम 2 के नाम से जाना जाता है। रूस, इन दोनों पाइपलाइन की मदद से जापान और यूरोपीय देशों को गैस सप्लाई करता है।
नॉर्ड स्ट्रीम 1 तकरीबन 1,224 किलोमीटर लम्बी गैस पाइपलाइन है, जो उत्तर-पश्चिमी रूस में वायबोर्ग से बाल्टिक सागर से पूर्वोत्तर जर्मनी में लुबमिन तक चलती है। रूसी ऊर्जा क्षेत्र की सबसे बड़ी कम्पनी गजप्रोम के स्वामित्व वाली यह पाइपलाइन प्राथमिक मार्ग है। इसके माध्यम से प्राकृतिक गैस जर्मनी को बेची जाती है।
नॉर्ड स्ट्रीम 1, प्रति वर्ष 55 बिलियन क्यूबिक मीटर गैस का ट्रांसपोर्ट करता है। इसमें से अधिकांश गैस सीधे जर्मनी जाती है। जबकि, शेष पश्चिम और दक्षिण की ओर अन्य देशों के लिए समुद्र तटवर्ती लिंक के जरिए गैस भंडारण जगहों पर जाती है।

नार्ड स्ट्रीम 1, 74 बिलियन यूरो की लागत से नवम्बर 2011 में बनी थी। इसका उद्घाटन तत्कालीन जर्मन चांसलर एंजेला मर्केल ने किया था। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक पूरे यूरोप में जर्मनी, रूस का सबसे बड़ा गैस उपभोक्ता है। साल 2021 के आँकड़ों को देखें तो रूसी गैस निर्यात में अकेले जर्मनी की हिस्सेदारी 55% थी और इसका अधिकांश भाग नॉर्ड स्ट्रीम पाइपलाइन के माध्यम से आता है।
नॉर्ड स्ट्रीम 2 गैस पाइपलाइन भी पहली पाइपलाइन की भाँति बाल्टिक सागर से होते हुए जर्मनी पहुँचती है। इसकी लम्बाई तकरीबन 1230 किलोमीटर है। साल 2018 में नॉर्ड स्ट्रीम 2 का निर्माण शुरू हुआ और सितम्बर 2021 में यह पूरा हो गया था। दावा किया जाता है कि नॉर्ड स्ट्रीम 2 में भी प्रतिवर्ष 55 बिलियन क्यूबिक मीटर गैस ले जाने की क्षमता है।

यह दोनों पाइपलाइन एक साथ कम-से-कम 50 वर्षों के लिये प्रतिवर्ष कुल 110 बिलियन क्यूबिक मीटर (बीसीएम) गैस को यूरोप तक पहुँचा सकती हैं। नॉर्ड स्ट्रीम रूस, फिनलैंड, स्वीडन, डेनमार्क और जर्मनी सहित कई देशों के एक्सक्लूसिव इकॉनमिक जोन (EEZ) से होकर गुजरती है। यह पाइपलाइन जर्मनी में बाल्टिक सागर पाइपलाइन (OPAL) और उत्तरी यूरोपीय पाइपलाइन (NEL) से जुड़ती है। यही आगे यूरोपीय ग्रिड से जुड़ती है।
नॉर्ड स्ट्रीम पाइपलाइन का महत्व
नॉर्ड स्ट्रीम गैस पाइपलाइन कितनी महत्वपूर्ण है, इसका अन्दाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि इसे यूरोप की लाइफलाइन कहा जाता है। यूरोप काफी हद तक रूस की तरफ से निर्यात की जाने वाली प्राकृतिक गैस पर निर्भर है। रिपोर्ट्स के मुताबिक यूरोप में गैस की आपूर्ति का एक तिहाई भाग से अधिक रूस पूरा करता है।
यूरोप में सर्दियाँ आने वाली हैं, ऐसे में सर्दियों के लिए गैस का भंडारण नहीं होता है तो इसका सीधा यूरोप के उद्योग पर पड़ेगा और सर्दियों में लोगों को कड़ी ठण्ड का सामना करना पड़ेगा। इसके दुष्परिणाम आर्थिक तो होंगे ही, साथ ही जान और माल की हानि होने की भी पूरी आशंका है।

नॉर्ड स्ट्रीम संकट से भारत पर प्रभाव
भारत और यूरोपीय संघ दुनिया के सबसे बड़े कारोबारी साझेदारों में से एक हैं। भारत अपनी जरूरत के कई सामान जर्मनी से आयात करता है। इनमें मुख्य तौर पर केमिकल्स, ऑटो कंपोनेंट्स, मेजरमेंट एंड कंट्रोल इक्विपमेंट, मशीनरी, इलेक्ट्रो टेक्नोलॉजी, मेटल और मेटल प्रॉडक्ट्स, प्लास्टिक्स, फार्मास्यूटिकल्स, पेपर और प्रिंटिंग मटीरियल्स समेत मेडिकल टेक्नोलॉजी शामिल हैं।
ऐसे में अगर जर्मनी में गैस की आपूर्ति सुचारू रूप से नहीं होती है तो फिर भारत के लिए जर्मनी से आयात करना महंगा हो जाएगा। इससे भारत में भी उत्पादों की कीमतें बढ़ सकती हैं। हाल ही में रूस-यूक्रेन युद्ध के बाद से अन्तरराष्ट्रीय स्तर पर तेल की कीमतों अभूतपूर्व उछाल आया था। इसका असर भारत में भी साफ-साफ देखने को मिला था।
दूसरी ओर, प्रतिबन्ध की मार झेलता रूस भी नए बाजार की खोज कर रहा है, जिसमें एशिया-प्रशांत एक आशाजनक विकल्प के रूप में उभर रहा है।
गैस मार्केट रिपोर्ट क्यू-3, 2022 के अनुसार, “एशिया प्रशांत क्षेत्र वर्ष 2021और 2025 के बीच प्राकृतिक गैस की खपत वृद्धि का मुख्य स्रोत बना हुआ है।” यह वैश्विक खपत का लगभग आधा है।