हाल ही में The Wire की पत्रकार ने अपने चिर परिचित अंदाज़ में एक रोचक परन्तु बेबुनियाद कहानी रची। उसके मुख्य पात्र रहे बीजेपी राष्ट्रीय आईटी सेल के अध्यक्ष- अमित मालवीय।
जो पोस्ट शेयर किया गया है उसमें एक अयोध्या निवासी ‘प्रभाकर मौर्य’ नामक व्यक्ति देखा जा सकता है जो उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को पूज रहा है और उनके नाम पर मंदिर भी स्थापित किया है।
पर कुछ ही क्षण बाद इसी पोस्ट को रिपोर्ट एवं तत्पश्च्यात इंस्टाग्राम हैंडल से हटा दिया गया। The Wire स्वतः अपने लेख में कहता है कि एक अज्ञात तत्त्व जो कि क्रिंज आर्किविस्ट @cringearchivist के हैंडल से इंस्टाग्राम चलता है, उसने प्रभाकर मौर्य पर मीम बनाया। जवाबी कार्रवाई में वह पोस्ट डिलीट हो जाता है, लेकिन ऐसा लोगों के रिपोर्ट करने की वजह से हुआ है।

अब The Wire के झूठ की कहानी सुनिए। उन्होंने इसे इंस्टाग्राम की एल्गोरिदम के उलट की एक बात बता दी। इन लोगों ने यह फतवा दे दिया कि अमित मालवीय नामक व्यक्ति जब भी चाहें, किसी भी पोस्ट की रिपोर्ट कर सकते हैं और वह कंपनी (इंस्टाग्राम, ट्विटर आदि-इत्यादि) उस पोस्ट को बिना किसी सवाल के हटा देते हैं।
कमाल है न! अमित मालवीय समय के धनी तो होंगे ही, तभी लाखों-करोड़ों पोस्ट पर निगाह रख पा रहे होंगे और उनकी हनक शायद रूसी राष्ट्रपति पुतिन से भी अदिक हो। मजे की बात है कि ये गोपनीय बातें वामपंथी पोर्टल ‘The Wire’ को बता कौन रहा है? इंस्टाग्राम की मूल कंपनी के अति विश्वसनीय सूत्र। मतलब, हँसी को भी हँसी आ जाए।
आखिर ये माजरा क्या है?
अब इस कहानी को साफ-साफ करते हैं पाठकों के लिए। तो वायर के हिसाब से यह आरोप लगा है कि अमित मालवीय जी ‘मेटा’ के उस ’क्रॉस चेक ‘या कहें ‘Xcheck’ जैसे विशेषाधिकार वाले उन उत्कृष्ट लोगों में हैं जिन्हें खुद ‘जकरबर्ग’ ने अपनी स्वेच्छा और प्रभाव से इंस्टा सामग्री को डिलीट करने का हक दिया है।
इसी लेख का हवाला देते हुए ‘वाल स्ट्रीट जर्नल’ के वरिष्ठ पत्रकार ‘जैफ हॉर्विट्ज’ ने अपने ट्विटर अकाउंट में प्रश्नात्मक ढंग से रीट्वीट करते हुए कहा, “अगर The Wire के प्रकाशित लेख में सत्यता है तो ये मेटा मंच ने बीजेपी आइटी सेल के सबसे बड़े अधिकारी को यह मौका दे दिया है कि वह इसका गलत फायदा उठाएँ और कंटेन्ट डिलीट करें”।
वह यहीं नहीं रुके। कह दिया कि इस प्रकार से ‘जो बाइडेन’ का आईटी सेल भी इसमें लिप्त हो सकता है। शुक्र है खुदा का कि मंगल ग्रह तक गई यात्राओं को इसमें न समेटा।
The analogue would be giving Joe Biden's head of digital comms the ability to make any Instagram post disappear, no questions asked.
— Jeff Horwitz (@JeffHorwitz) October 10, 2022
It would be great if this weren't true. There are apparently documents, however. https://t.co/Fu1dxlMymN
वैसे, ट्विटर की क्रीज़ पर एंडी स्टोन (मेटा के संचार प्रबंधक) ने अपने आधिकारिक बयान में धागा खोल दिया। वह कहते हैं – “कहानी कहाँ से शुरू करूँ? Xcheck का रिपोर्ट पोस्ट करने से कोई सम्बन्ध ही नहीं है। जिन पोस्ट्स पर प्रश्न चिह्न लगे, वह AI रिव्यू द्वारा लगे हैं, किसी व्यक्ति द्वारा नहीं। तो जो भी आधारभूत दस्तावेज हैं सब मनगढंत हैं।
Where to even begin with this story?! X-check has nothing to do with the ability to report posts. The posts in question were surfaced for review by automated systems, not humans. And the underlying documentation appears to be fabricated.
— Andy Stone (@andymstone) October 11, 2022
फैक्ट चेक में हमारी पुष्टि तो संपन्न हुई, तो अब सोचने वाली बात ये है फिरकी कौन ले रहा था ? या तो राजपत्रित ओहदे पर विराजमान Meta के एंडी स्टोन झूट बोल रहे हैं या फिर ‘द वायर’ का वह अज्ञात सूत्र जिसका मूल सूत्र है – “Trust Me Bro”, वह सच्चा है। बाकी ‘द वायर’ ही जाने।
वैसे यह पहली बार नहीं है जब वामपंथ विचारधारा से तृप्त ‘द वायर’ की पत्रकार जाह्नवी सेन ने सरकार विरोधी लेख में जबरन पीढ़ पत्रकारिता की है। निम्नलिखित चित्र का नैरेटिव मात्र ही आपको लेख का आकलन करवाने के लिए पर्याप्त है।
समझ रहा है ना बिनोद? कैसे वायर की कहानी के अनुसार अमित मालवीय ने 705 पोस्ट रिपोर्ट किये ? कैसे भय के मारे @cringearchivist अकाउंट निजी हो गया? कैसे इंस्टा एडमिन्स को चिंता है कि कहीं उनका एकाउंट ही डिलीट न कर दिया जाए। इनके हितैषी पोर्टल ही जानें।
पर आज तक हमने जब भी कुछ इंस्टा में रिपोर्ट किया है, चाहे नग्नता / घृणित भाषण या कुछ और हो तो मेटा टीम ने ही सत्यापित किया है, किसी साम्यवादी IT Cell ने नहीं।
बाकी, ताजा जानकारी मिलने तक वह मेल भी फेक होने की खबर आ गई है, जिस पर यह पूरा मामला रचा-बसा गया था। वायर वालों को तो खैर शर्म नहीं, लेकिन पाठकों को यह जरूर जानना चाहिए।
In its October 11 story, @thewire_in cites a supposed email from @andymstone. It is a fake. The supposed email address from which it was sent isn’t even Stone’s current email address, and the "to" address isn't one we use here either. There is no such email. (4/6)
— Guy Rosen (@guyro) October 11, 2022