सोशल मीडिया और धार्मिक स्थलों पर ‘सस्ती’ लोकप्रियता बटोरने की बीमारी का उपचार करते हुए, नेपाल ने बीते जुलाई तथाकथित ‘लोकप्रिय’ सोशल मीडिया यूजर्स को प्रतिबंधित कर दिया था।
इसके अलावा, नेपाल के बौद्ध तीर्थ स्थल लुम्बिनी, बौद्धनाथ स्तूप, जानकी मन्दिर और गढ़ीमाई मन्दिर जैसे महत्वपूर्ण धार्मिक स्थलों पर टिकटॉक, रील्स, यू-ट्यूब वीडियो बनाने पर प्रतिबंध लगा दिया गया।
बौद्ध धार्मिक स्थल के अधिकारियों का कहना है कि तेज आवाज में संगीत बजाकर टिकटॉक बनाने से तीर्थयात्रियों को परेशानी होती है। इसलिए मुख्य मन्दिर और उसके आसपास टिकटॉक बनाने पर प्रतिबंध लगा दिया गया है।
इस प्रतिबंध के पीछे की धारणा यह है कि धार्मिक स्थलों की मर्यादा बनी रहे और मन्दिरों का उद्देश्य बरकरार रहे। अब प्रश्न उठता है कि धार्मिक स्थलों की मर्यादा बनाए रखने के लिए इस तरह के वीडियो को प्रतिबंधित क्यों करना पड़ रहा है।
इसका उत्तर ‘हर की पैड़ी’ का यह वीडियो देता है। इस वीडियो में कुछ मनचले युवा अजीब सी मुद्राओं में नृत्य करते हुए दिख रहे हैं।
Camera and mobile should be banned in the temple premises pic.twitter.com/q3ni8SXBhs
— Suraj Goswami 🌞 (@atit_sg) September 13, 2022
सोशल मीडिया पर आजकल एक गाने की ट्यून बहुत ट्रेंड कर रही है। इसी ट्यून पर खूब सारे वीडियो बन रहे हैं, जो सोशल मीडिया पर जमकर वायरल भी हो रहे हैं। ट्रेंड की इस बीमारी का एक नमूना यह वीडियो है। इसकी खूब आलोचना भी हो रही है। इन सोशल मीडिया यूजर्स पर गंगा सभा महासचिव तन्मय वशिष्ठ ने स्थानीय पुलिस में शिकायत दर्ज कर कड़ी कार्रवाई की मांग की है।
ऐसा ही एक और वीडियो सोशल मीडिया पर काफी वायरल हुआ था। मन्दिर की पवित्रता और मर्यादा को भंग करता यह वीडियो उत्तराखण्ड के जोशीमठ स्थित नरसिंह मन्दिर का है।
माननीय @AjendraAjay जी कुछ समय पूर्व आपने आदेश दिया था कि मंदिर में फोटोग्राफी, वीडियोग्राफी बिना अनुमति के नहीं होगी फिर नरसिंह मंदिर के प्रांगण में ऐसे आपत्तिजनक रील्स कैसे बनाई जा रही हैं…कृपया ऐसे लोगों पर उचित कार्रवाई कीजिए🙏 pic.twitter.com/c52CoNk1xH
— ABHISHEK SEMWAL (@Abhiisshhek) April 10, 2022
नीचे का यह वीडियो उज्जैन का है। भगवान शिव के बारह ज्योतिर्लिंग में से एक महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग का यह वीडियो काफी वायरल हुआ था। इस वीडियो की काफी आलोचना भी हुई थी, इसके बाद युवती को माफी भी माँगनी पड़ी थी।
#Ujjain के महाकालेश्वर मंदिर में रील बनाने का एक वीडियो सामने आया है, इस वीडियो में एक महिला मंदिर परिसर में फिल्मी गीतों पर थिरक रही है, वीडियो सामने आने के बाद मंदिर के पुजारी ने इस पर आपत्ति जताई है pic.twitter.com/BTPzCjEU91
— Hindustan (@Live_Hindustan) October 10, 2021
सरयू नदी में स्नान करते इस युगल की वीडियो सोशल मीडिया पर काफी वायरल हुई थी। आमतौर पर सरयू या फिर गंगा में स्नान करने का अर्थ व्यक्ति के शुद्धिकरण से जुड़ा रहता है। यह युगल सरयू जैसी पवित्र नदी को स्वीमिंग पूल समझ बैठा था।
A man was beaten black n blue after kissing his wife in a public place at saryu river #Ayodhya people oppose the obscenity by the couple in holy place #fightsvideos pic.twitter.com/Hwi6BrrkFx
— The Voice News (@TheVoiceNews7) June 22, 2022
सोशल मीडिया पर केदारनाथ आए दिन चर्चा में रहता है। केदारनाथ का ही एक वीडियो जिसमें एक व्यक्ति अपने पालतू कुत्ते को केदारनाथ ले जाता है, काफी वायरल हुआ था। यह वीडियो भी केदारनाथ का है। वीडियो देखकर तो यही प्रतीत हो रहा है कि युवती के लिए केदारनाथ कोई मन्दिर या धाम नहीं बल्कि पिकनिक स्पॉट है।
एक और वोक pic.twitter.com/lQMkddwKim
— Jayesh Matiyal (@jayeshmatiyal) September 14, 2022
MP Chhatarpur temple में girl dance Video Viral,Aarti Sahu? pic.twitter.com/jScAd6ZBNz
— Dhrup Kumar Raj Jadopur (@DJadopur1) September 28, 2021
अब सवाल उठता है कि आए दिन इस तरह के वीडियो सोशल मीडिया पर क्यों वायरल होते हैं। आमतौर पर इसके दो पहलू दिखाई देते हैं। पहला पहलू, मन्दिर प्रशासन के नियम और कानून में ढिलाई। दूसरा पहलू, मन्दिरों के प्रति हिन्दू समाज की संवेदनहीनता।
नेपाल की ही तर्ज पर भारत में भी धार्मिक स्थलों के प्रशासन व अधिकारियों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि इस तरह के कृत्यों को रोकने के लिए विभिन्न तरह के प्रयास किए जाएं। मन्दिरों में ‘फोटो लेना वर्जित है’ के पोस्टर मन्दिर की दीवारों पर लगे दिखाई देते हैं। सोशल मीडिया के इस दौर में यह नाकाफी है। इसके लिए कड़े कदम उठाने आवश्यक हैं।
दूसरा और सबसे महत्वपूर्ण पहलू हिन्दुओं का अपनी संस्कृति के प्रति संवेदनहीनता का है। अपने धार्मिक स्थलों के प्रति उदासीन हिन्दू समाज मन्दिरों के उद्देश्य को ही भूल गया है। मन्दिर शान्ति का प्रतीक हैं। मन्दिर सनातन संस्कृति का मूल हैं।
यहाँ समस्या मोबाइल फोन की नहीं है, और न ही किसी की स्वतंत्रता की। जिस तरह का कंटेट सोशल मीडिया यूजर्स बना रहे हैं, वह बताता है कि उनके बीच न तो अपने धर्म के प्रति प्रेम या श्रद्धा है, न किसी तरह की समझ।